गुजरात में रैगिंग के कारण MBBS छात्र की मौत, 3 घंटे तक खड़े रहने पर किया मजबूर

गुजरात से एक खबर आ रही है, जहां मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के चलते एक एमबीबीएस फस्ट ईयर के छात्र अनिल मेथानिया की मौत हो गई. अनिल के परिजनों ने कॉलेज प्रशासन और सरकार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. वहीं, अन्य छात्रों ने भी घटना पर क्रोध व्यक्त किया और आरोप लगाया कि कॉलेज में रैगिंग के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाता.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 18 Nov 2024 7:51 AM IST

गुजरात के पाटन स्थित जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के चलते एक एमबीबीएस फस्ट ईयर के छात्र अनिल मेथानिया की मौत हो गई. कुछ सीनियर छात्रों ने उसे रैगिंग के नाम पर तीन घंटे तक खड़ा रहने पर मजबूर किया. लगातार खड़े रहने से उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश होकर गिर पड़ा. फिर उसे जल्द अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.

घटना के बाद कॉलेज प्रशासन ने रैगिंग निरोधक समिति को सक्रिय किया है. कॉलेज के डीन, डॉ. हार्दिक शाह ने बताया कि इस मामले में आरोपी छात्रों से पूछताछ जारी है. पुलिस ने छात्र के शव का पोस्टमार्टम करवाया और मामले की जांच शुरू कर दी है. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आठ सीनियर छात्रों ने अनिल को टॉर्चर किया.

परिजनों और अन्य छात्रों की प्रतिक्रिया

अनिल के परिजनों ने कॉलेज प्रशासन और सरकार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. वहीं, अन्य छात्रों ने भी घटना पर क्रोध व्यक्त किया और आरोप लगाया कि कॉलेज में रैगिंग के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाता.

पाटन एसपी डॉ. रवींद्र पटेल ने कहा, "हमने बलिसाना पुलिस स्टेशन में मौत की रिपोर्ट दर्ज कर ली है. हमने मेडिकल कॉलेज की एंटी-रैगिंग कमेटी को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए लिखा है. हम इसके आधार पर आवश्यक कार्रवाई करेंगे."

तेलंगाना में शिक्षक की शर्मनाक हरकत

तेलंगाना के खम्मम जिले के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय में एक टीचर ने मेडिकल छात्र की हेयर स्टाइल को लेकर उसे नाई की दुकान पर ले जाकर सिर मुंडवा दिया. यह घटना 12 नवंबर की है, जिसने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया.

घटना के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजा नरसिम्हा ने तत्काल जांच के आदेश दिए. कॉलेज प्रिंसिपल ने आरोपी शिक्षक को छात्रावास से हटाने का आदेश दिया है.

छात्रों का कहना है कि यह घटना न केवल उनकी गरिमा का हनन है, बल्कि शिक्षकों के व्यवहार पर भी सवाल खड़े करती है. प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्र और उनके परिजनों को न्याय का भरोसा दिलाया है.

सख्त कानूनों के बावजूद रैगिंग

इन घटनाओं ने एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है कि सख्त कानून और रैगिंग निरोधक समितियां क्यों असफल हो रही हैं. छात्रों के साथ हो रहे उत्पीड़न को रोकने के लिए संस्थानों में जागरूकता बढ़ाने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है.

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