शिवराज सिंह का टैंपो High है! चार बार CM, फिर बने PM के सबसे खास मंत्री; पढ़िए कैसे बढ़ता गया कद
शिवराज सिंह चौहान 15 साल मध्यप्रदेश की सत्ता संभालने के बाद भी वह सीएम पद की लालसा रख रहे थे. इसी वजह से जब राज्य में कमलनाथ की सरकार थी तब उन्हें केंद्र सरकार ने मंत्री पद का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. वो सोच रहे थे कि बीजेपी उन्हें ही सीएम पद का उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन बीजेपी ने ऐसा नहीं किया.;
केंद्र सरकार के कामकाज में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद बढ़ता जा रहा है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बहुत ही अहम जिम्मेदारी सौंपी है. अब शिवराज सिंह चौहान की अगुआई में बनी टीम केंद्र सरकार की नई और जारी केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा करेगी. इसे लेकर 18 अक्टूबर को पहली बैठक हुई थी.
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक नई केंद्रीय योजनाओं की देखरेख के लिए एक नई मॉनिटरिंग ग्रुप का गठन किया है. इस मॉनिटरिंग ग्रुप की अगुवाई कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान करने वाले हैं. आपको बता दें, शिवराज सिंह चौहान इससे पहले 15 साल तक मध्यप्रदेश की कमान संभल चुके हैं. आइये जानते हैं कि आखिर कैसे शिवराज के कद बढ़ा और वो पीएम मोदी के खास नेताओं में शुमार होते चले गए.
सभी कामकाज की होगी समीक्षा
शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में यह टीम एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल से लेकर अब तक की सभी परियोजनाओं की समीक्षा करेगी. अगर किसी परियोजना में कोई देरी या कोई समस्या आती है तो यह टीम परियोजना संबंधित सचिवों से संपर्क करेगी. 18 अक्टूबर कोई हुई मीटिंग में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सहित भारत सरकार के सभी सचिव हाइब्रिड मोड के जरिए शामिल हुए थे. यह टीम हर महीने मीटिंग करेगी.
2014 और 2019 में भी बन चुका है ग्रुप
यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने यह मॉनिटरिंग ग्रुप बनाया हो. पीएम मोदी के 2014 और 2019 में भी सरकार बनने के बाद अन्य केंद्रीय मंत्रियों को इसी तरह की जिम्मेदारी दी गई थी. इस ग्रुप का मकसद सरकार द्वारा घोषित योजनाओं की समीक्षा करना और उनकी खामियों के बारे में बताना होता है. जानकारी के अनुसार, इसे लेकर संबंधित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी जाती है.
कौन हैं 'मामा' शिवराज?
मध्यप्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान यानी मामा का बहुत ही ज्यादा योगदान है. उन्होंने लगभग 15 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. इसके बाद उन्हें मोदी 3.0 में जगह दी गई. 5 मार्च 1959 को सीहोर जिले में जन्मे चौहान ने 90 के दशक में अखिल भारतीय केशरिया वाहिनी के संयोजक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. उन्हें 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव में जीत मिली थी.
कौन कौन सी चलाई थी योजनाएं?
- सीएम राइज स्कूल
- लाडली बहना योजना
- किसानों का कर्ज माफ़
- छात्राओं के लिए ई-स्कूटर
- मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना
- रोजगार सहायकों को दोगुना वेतन
- कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि
- आंगनबाड़ी सेविकाओं के वेतन में वृद्धि
- संविदा कर्मचारी को रिन्यू नहीं कराना होगा अनुबंध
कैसे पार्टी में बढ़ा कद?
शिवराज सिंह चौहान 15 साल मध्यप्रदेश की सत्ता संभालने के बाद भी वह सीएम पद की लालसा रख रहे थे. इसी वजह से जब राज्य में कमलनाथ की सरकार थी तब उन्हें केंद्र सरकार ने मंत्री पद का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. उसके बाद उन्होंने कमलनाथ को पद से हटाकर सीएम बने. जब उनका कार्यकाल पूरा हुआ तब वो सोच रहे थे कि बीजेपी उन्हें ही सीएम पद का उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन बीजेपी ने ऐसा नहीं किया.
जब शिवराज को सीएम नहीं बनाया गया तो उन्होंने अपने नेतृत्व में मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की कमान संभाली. इसका फल उन्हें मिला, राज्य में सभी 29 सीटों पर बीजेपी को भारी जीत मिली. इस जीत से बीजेपी आलाकमान और पीएम मोदी खुश हुए. उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करने का फैसला लिया गया. अब और भी जिम्मेदारी देकर उनका कद बढ़ाया जा रहा है.