कम विजिबिलिटी में कैसे लैंड करती हैं फ्लाइट? सर्दियों में धुंध के बावजूद दिल्‍ली एयरपोर्ट पर ऐसे होते हैं फ्लाइट ऑपरेशन

राष्ट्रीय राजधानी में जहरीली धुंध की वजह से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सोमवार को कम से कम 15 फ्लाइट को डायवर्ट किया गया - 13 जयपुर, एक देहरादून और एक लखनऊ के लिए - और कई उड़ानें खराब विजिबिलिटी के वजह से कैंसिल हुईं. हर साल सर्दियों में ये सब देखने को मिलता है. ऐसे में अक्‍सर लोगों के दिमाग में यह प्रश्‍न जरूर आता होगा कि इतनी कम विजिबिलटी में विमान उतरते कैसे हैं, इनके लिए किन टेक्नोलॉजी का यूज होता होगा.;

Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 19 Nov 2024 12:05 PM IST

 दिल्ली में धुंध या कोहरे के वजह से बहुत सी उड़ानें डायवर्ट (दूसरे हवाईअड्डे पर भेजी जाती हैं) करनी पड़ी हैं और बहुत सी फ्लाइट ने देर से उड़ान भरी है तो कुछ कैंसिल भी हुई हैं. धुंध के कारण विजिबिलिटी (Visibility) कम हो जाती है, यानी पायलट को हवाई पट्टी (Runway) और आसपास का क्षेत्र साफ दिखाई नहीं देता. ऐसे में विमान को सुरक्षित उतारना एक बहुत बड़ा चैलेंज हो जाता है. हर साल सर्दियों में यही कहानी दोहराई जाती है. ऐसे में अक्‍सर लोगों के दिमाग में यह प्रश्‍न जरूर आता होगा कि इतनी कम विजिबिलटी में विमान उतरते कैसे हैं. तो हम आपको विस्‍तार से बताते हैं.

राष्ट्रीय राजधानी में जहरीली धुंध की वजह से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सोमवार को कम से कम 15 फ्लाइट को डायवर्ट किया गया - 13 जयपुर, एक देहरादून और एक लखनऊ के लिए - और कई उड़ानें खराब विजिबिलिटी के वजह से कैंसिल हुईं. हवाई अड्डे के अधिकारियों के अनुसार, ये डायवर्जन इसलिए किए गए क्योंकि कुछ पायलटों को कैट III ऑपरेशन के लिए ट्रेनिंग नहीं दी गई थी, जिसमें विमान बेहद कम विजिबिलिटी की स्थिति में भी उतर सकते हैं, जैसा कि हाल में दिल्ली में देखा जा रहा है.

कम विजिबिलिटी में लैंडिंग

लैंडिंग को विमान उड़ाने का सबसे कठिन और सबसे खतरनाक पहलू माना जाता है. एक रिसर्च के अनुसार खराब विजिबिलिटी कई कारकों में से एक है जो विमानों को उतरना मुश्किल बनाता है. कम विजिबिलिटी के समय में, पायलटों के पास कुछ या फिर कोई भी विज्अल हिंट नहीं होते हैं जिन पर वे अपने विमान पर भरोसा कर सकते हैं, जिससे लैंडिंग करते समय उनके लिए जमीन और रनवे के साथ ग्लाइड पथ का सटीक अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है. गलत समय पर या गलत तरीके से लैंडिंग करने से दुर्घटनाओं का खतरा काफी बढ़ जाता है. आईएलएस (ILS) गाइडिंग सिस्टम रेडियो सिग्नल और कभी-कभी हाई-इंटेंसिटी की मदद से कम विजिबिलिटी में विमानों को उतरने में मदद करता है.

जब विजिबिलिटी बहुत कम होती है, तो विमान को उतारने के लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का उपयोग भी किया जाता है, जैसे कि कैट III-B सिस्टम: ये एक खास लैंडिंग सिस्टम है जो कोहरे या धुंध में भी विमान को रनवे पर उतरने में मदद करता है. इस सिस्टम में ग्राउंड पर लगे सेंसर और विमान के उपकरण आपस में तालमेल बनाते हैं.

दूसरा ऑटो लैंडिंग: अधिकतर विमानों में ऑटोमैटिक लैंडिंग तकनीक होती है. इसमें विमान के कंप्यूटर और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) पायलट को बिना अधिक विजिबिलिटी के भी सही तरीके से रनवे तक पहुंचने में मदद करते हैं.

उड़ान डायवर्ट क्यों होती है?

अगर विजिबिलिटी सिस्टम और पायलट की क्षमता से भी कम हो तो विमान को दूसरे हवाईअड्डे पर भेज दिया जाता है. इससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है. विमान को नुकसान का खतरा भी टल जाता है.

एयरलाइंस कंपनियों ने दी चेतावनी

एयर इंडिया ने सोमवार दोपहर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में कम विजिबिलिटी के वजह से दिल्ली आने-जाने वाली उड़ानों का परिचालन प्रभावित हो रहा है.' 'स्पाइसजेट' ने सोमवार को 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि दिल्ली में कम विजिबिलिटी के वजह से उड़ानों के प्रस्थान/आगमन में देरी हो सकती है. 'इंडिगो' ने रविवार देर रात एक पोस्ट में कहा, 'धुंध के कारण दिल्ली में दृश्यता प्रभावित हो रही है जिसके वजह से यातायात की रफ्तार धीमी हो सकती है और विमानों के परिचालन में देरी हो सकती है."

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