PM पर कार्टून बनाना पड़ा भारी, सुप्रीम कोर्ट की फटकार: 'फ्रीडम ऑफ स्पीच का हो रहा दुरुपयोग' - 10 बातें

सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को प्रधानमंत्री मोदी और RSS पर बनाए गए कथित आपत्तिजनक कार्टून के मामले में गिरफ्तारी से राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी की कि कुछ कलाकार और स्टैंडअप कॉमेडियन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि कार्टून कोविड काल के दौरान व्यंग्य के रूप में बनाया गया था. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 15 जुलाई तय की है और अंतरिम राहत से मना कर दिया.;

( Image Source:  sci.gov.in )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 14 July 2025 3:03 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मशहूर कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया. मालवीय के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर बनाए गए एक कथित आपत्तिजनक कार्टून को लेकर मानहानि का मामला दर्ज है. कोर्ट ने कहा कि "आजकल कुछ कलाकारों, कार्टूनिस्टों और स्टैंडअप कॉमेडियनों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) का दुरुपयोग किया जा रहा है."

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, “यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग है. हम इसे आंख मूंदकर नहीं मान सकते. कार्टूनिस्ट या स्टैंडअप कॉमेडियन होने का मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी कह सकते हैं.”

  1. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हेमंत मालवीय को गिरफ्तारी से फिलहाल कोई राहत नहीं दी जा सकती. यह अंतरिम संरक्षण का मामला नहीं है क्योंकि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं.
  2. बेंच ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि कुछ कलाकार, कार्टूनिस्ट और स्टैंडअप कॉमेडियन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं, जो स्वीकार्य नहीं है.
  3. जिस कार्टून को लेकर मामला दर्ज किया गया, वह कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करता है, जिसे मानहानि की श्रेणी में माना गया है.
  4. हेमंत मालवीय ने कहा कि यह कार्टून कोविड महामारी के दौरान बना था और इसका उद्देश्य केवल सामाजिक व्यंग्य करना था, न कि किसी की छवि बिगाड़ना.
  5. याचिकाकर्ता ने कहा कि कार्टून पिछले चार वर्षों से सोशल मीडिया पर घूम रहा था, लेकिन अब जाकर इसे लेकर FIR दर्ज की गई है.
  6. 3 जुलाई को MP हाईकोर्ट ने मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने "फ्री स्पीच की आड़ में मर्यादा तोड़ी है."
  7. कोर्ट ने कहा कि फ्री स्पीच का मतलब यह नहीं कि कलाकार सामाजिक मर्यादा या संवैधानिक सीमाओं को लांघे. न्याय और गरिमा के बीच संतुलन जरूरी है.
  8. यह फैसला कलाकारों और सोशल मीडिया यूज़र्स के लिए मूल्यवान नजीर बन सकता है, जिसमें अदालत ने स्पष्ट किया है कि हर अभिव्यक्ति संवैधानिक सुरक्षा के दायरे में नहीं आती.
  9. कोर्ट ने फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक नहीं लगाई और अगली सुनवाई के लिए 15 जुलाई 2025 की तारीख तय की है. तब तक पुलिस कार्रवाई हो सकती है.
  10. इस मामले ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की आज़ादी और उसकी सीमाओं पर बड़ी बहस छेड़ दी है. क्या व्यंग्य और आलोचना की भी कोई मर्यादा होनी चाहिए - यह सवाल अब समाज के सामने है.

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