आखिर ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने की बात क्यों कर रहे दक्षिण के राज्य? क्या है इसके पीछे की वजह

High number of elderly in India: 2021 और 2036 के बीच दक्षिण में जनसंख्या में बुजुर्गों का अनुपात 6-7% बढ़ जाएगा, जबकि उत्तर में यह लगभग 3-4% होगा. इस देश की एक बड़ी आबादी उम्रदराज होने की तरफ बढ़ रही है. इसी चिंता में राजनेता अधिक बच्चे पैदा करने तक की अपील तक कर रहे हैं. लेकिन जानकार इसमें राजनीतिक फायदे भी देख रहे हैं.;

High number of elderly in India
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 22 Oct 2024 7:05 PM IST

High number of elderly in India: भारत के दक्षिणी राज्यों में बढ़ती उम्रदराज आबादी पर चिंता जताते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अधिक बच्चे पैदा करने की अपील की थी. सरकारें कपल को बच्चे होने पर प्रोत्साहित के लिए कानून बनाने में भी लगी है. इसमें राजनीतिक मायने भी सामने आ रहे है, जिसके जरिए नेता अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं.

जनसंख्या बढ़ाने की राजनेताओं की अपील 2026 में शुरू होने वाले लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया के तहत देखी जा रही है, जिससे संसद में तमिलनाडु के प्रतिनिधित्व पर असर पड़ सकता है. करीब पांच दशक पहले भारत में जनसंख्या वृद्धि एक मुख्य चिंता का विषय थी. हालांकि, पिछले कुछ सालों में देश ने अपनी जनसंख्या वृद्धि की गति को नियंत्रित किया है.

दक्षिणी राज्यों के लिए क्या है परिसीमन का डर?

आंध्र प्रदेश ने 2004 में प्रजनन क्षमता का रिप्लेसमेंट लेवल हासिल किया है, यानी कि प्रति महिला औसतन 2.1 बच्चे, जिससे यह केरल (1988), तमिलनाडु (2000), हिमाचल प्रदेश (2002) और पश्चिम बंगाल (2003) के बाद ऐसा करने वाला पांचवां भारतीय राज्य बन गया. आंध्र प्रदेश में एक कानून था जिसके तहत दो से ज़्यादा बच्चे होने पर लोगों को स्थानीय चुनाव लड़ने से रोक दिया जाता था. CM नायडू ने इसे निरस्त कर दिया है.

दक्षिणी राज्यों में केवल कर्नाटक में निचले सदन में प्रतिनिधित्व में वृद्धि देखी गई, जिसमें 28 सीटों से बढ़कर 36 हो गई. आंध्र प्रदेश 2014 में तेलंगाना के एक अलग राज्य के रूप में गठन के बाद से पापुलेशन चेंज का सामना कर रहा है, जो 2011 की जनगणना में साढ़े 8 करोड़ निवासियों के साथ 10वें सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के रूप में स्थान रखता था.

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 2026 के बाद पहली जनगणना के आधार पर किया जाना है. कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना स्थगित कर दी गई थी. चूंकि लोकतंत्र में एक नागरिक का मतलब एक वोट होता है, इसलिए 1951, 1961 और 1971 की जनगणना के आधार पर लोकसभा में सीटों की संख्या 494, 522 और 543 तय की गई, जब जनसंख्या क्रमशः 36.1, 43.9 और 54.8 करोड़ थी.

यूएनएफपीए और आईआईपीएस की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (IIPS) की तैयार की गई इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार, आंध्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में बुजुर्गों की आबादी न केवल पहले की तुलना में अधिक है. वहीं ऐसी स्थिति उत्तर में जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बनी हुई है, लेकिन 2021 और 2036 के बीच बहुत अधिक दर से वृद्धि होगी.

साउथ में बुजुर्गों की हिस्सेदारी

केरल में जनसंख्या में बुजुर्गों की हिस्सेदारी 2021 में 16.5% से बढ़कर 2036 में 22.8% हो जाएगी या 6% से थोड़ी अधिक वृद्धि होगी. तमिलनाडु में 13.7% से बढ़कर 20.8% हो जाएगी, आंध्र में 12.3% से बढ़कर 19% हो जाएगी, कर्नाटक में बुजुर्गों की आबादी 11.5% से बढ़कर 17.2% हो जाएगी और तेलंगाना में 11% से बढ़कर 17.1% हो जाएगी.

नॉर्थ में बुजुर्गों की हिस्सेदारी

बिहार में बुजुर्गों की आबादी 7.7% से बढ़कर 11% (3.3% की वृद्धि) हो जाएगी. उत्तर प्रदेश में जनसंख्या के 8.1% से 11.9% तक लगभग समान वृद्धि देखी जाएगी. झारखंड की वृद्धि दर 8.4% से बढ़कर 12.2%, राजस्थान की वृद्धि दर 8.5% से बढ़कर 12.8% और मध्य प्रदेश की वृद्धि दर भी 8.5% से बढ़कर 12.8% हो जाएगी.

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