इमरजेंसी के विरोध में छोड़ा इंदिरा स्‍कूल, पिता थे नितिन गडकरी के राजनीतिक गुरु; कहानी देवेंद्र फडणवीस की

Devendra Fadnavis: देवेंद्र फडणवीस आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वे दो बार महाराष्ट्र के सीएम रहे. बचपन में उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में इंदिरा स्कूल को छोड़ दिया था. उनके पिता नितिन गडकरी के राजनीति गुरु हैं. फडणवीस के नाम पर एक खास रिकॉर्ड भी दर्ज है. आइए, इसके बारे में जानते हैं...;

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By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 23 Nov 2024 7:14 PM IST

Devendra Fadnavis Interesting Story: देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. मौजूदा शिंदे सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया है. फडणवीस दो बार मुख्यमंत्री रहे. हालांकि दूसरा कार्यकाल उनका महज 5 दिन का था, जब अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाने की उनकी योजना धरी की धरी रह गई. फडणवीस को इस बार भी सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव फडणवीस केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के राजनीतिक गुरु थे. राजनीतिक परिवार से होने का असर देवेंद्र फडणवीस पर शुरू से ही दिखा. जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई, तब देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव फडणवीस को भी जेल भेज दिया गया था. इंदिरा के फैसले से नाराज होकर देवेंद्र फडणवीस ने लोकल इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने से इनकार कर दिया था और आरएसएस के द्वारा चलाए जा रहे सरस्वती विद्यालय में पढ़ना पसंद किया.

सीएम, जो बने डिप्टी सीएम

फडणवीस एक ऐसे सीएम हैं, जिन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया. यह सब कुछ हुआ शिवसेना के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत से... शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से उद्धव ठाकरे की सरकार का तख्तापलट कर दिया. इसके बाद उन्होंने 30 जून 2022 को सीएम पद की शपथ ली. वहीं, फडणवीस को डिप्टी सीएम बनना पड़ा.

देवेंद्र फडणवीस को एक परिपक्व और समझदार नेता माना जाता है. नागपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाद अपराजित ने बीबीसी से बातचीत के दौरान बताया कि 20-21 जून की रात को फडणवीस के घर पर 10 जून को राज्यसभा और 20 जून को एमएलसी चुनाव में मिली जीत का जश्न मनाया जा रहा था. फडणवीस को 21 जून को नासिक पहुंचना था... वहां की विधायक ने इसे लेकर पूरी तैयारी कर ली थी.

जब फडणवीस ने कहा- मुझे सब पता है

फडणवीस भी नासिक जाने की बात कहकर रात को ही घर से निकल देते हैं, लेकिन इसी बीच शिंदे के बगावत की खबर आती है... फडणवीस को एक नेता फोन कर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि आप तुरंत नासिक से निकलिए... इस पर फडणवीस ने जवाब दिया- मैं नासिक में ही हूं. मुझे सब पता है.

फडणवीस के नाम पर दर्ज है खास रिकॉर्ड

फडणवीस शरद पवार के बाद सबसे कम उम्र में सीएम बनने वाले नेता हैं. उनके नाम पर एक खास रिकॉर्ड भी है. फडणवीस को जापान की ओसाका सिटी यूनिवर्सिटी ने 2018 में मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी. यह सम्मान पाने वाले वे भारत के पहले नेता हैं. उन्हें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की तरफ से 2002-03 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया.

सबसे कम उम्र में बने मेयर

देवेंद्र फडणवीस का कद महाराष्ट्र बीजेपी में काफी बड़ा है. नागपुर के एक ब्राह्मण परिवार में 22 जुलाई 1970 को जन्मे फडणवीस ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत एबीवीपी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी. इसके बाद 1992 में वे नगर सेवक और 1997 में 27 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम के मेयर बने. वे सबसे कम उम्र में मेयर बनने वाले भारत के दूसरे और नागपुर के पहले मेयर थे. इसके बाद 1999 में वे नागपुर से ही विधानसभा के लिए चुने गए. तब से लेकर आज तक वे लगातार विधायक हैं.

जनसंघ के नेता थे पिता

फडणवीस ने नागपुर से लॉ की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने जर्मनी की राजधानी बर्लिन से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का कोर्स भी किया. फडणवीस का परिवार पहले से राजनीति में था. उनके पिता नागपुर नगर निगम के दो बार पार्षद चुने गए. उनके पिता जनसंघ के नेता थे, जबकि चाची शोभा फडणवीस बीजेपी-शिवसेना की पहली सकार में मंत्री थे.

अमृता फडणवीस से की शादी

देवेंद्र फडणवीस ने 2005 में अमृता फडणवीस से शादी की. दोनों की एक बेटी है, जो मुंबई में पढ़ाई कर रही है. फडणवीस को 2013 में महाराष्ट् बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. जब उन्होंने नागपुर से अपनी सियासी पारी शुरू की तो उस समय विदर्भ और नागपुर में नितिन गडकरी ही बीजेपी के अकेले नेता थे. उनके मार्गदर्शन में ही फडणवीस ने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया.

2014 में बने महाराष्ट्र के सीएम

जब बीजेपी के अंदरूनी समीकरण बदलने लगे तो फडणवीस ने खुद को गडकरी से अलग कर लिया और उनके विरोधी माने जाने वाले गोपीनाथ मुंडे का दामन थाम लिया. इसका फायदा भी उन्हें मिला और वे प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए. इसके बाद जब 2014 में बीजेपी को विधानसभा चुनाव में जीत मिली तो उसने नया प्रयोग किया और गैर मराठा फडणवीस को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया. इससे पहले, झारखंड में गैर आदिवासी रघुवर दास और हरियाणा में गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया. बीजेपी का यह प्रयोग बहुसंख्यक वर्ग की जगह अल्पसंख्यक वर्ग से सीएम बनाना था.

फडणवीस बीजेपी के पहले ऐसे नेता बने, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. उनसे पहले किसी नेता ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था. नागपुर के मेयर से सीएम की कुर्सी तक पहुंचने में उन्हें करीब 22 साल लगे. 2019 में भी उनका सीएम बनना लगभग तय था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. वे केवल दो दिन तक सीएम रह पाए. पहली बार वे 31 अक्तूबर 2014 से 12 नवंबर 2019 तक, जबकि दूसरी बार 23 नवंबर 2019 से 28 नवंबर 2019 तक सीएम रहे.

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