'पति का दूसरी महिला के साथ रहना भी है घरेलू हिंसा', दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी के भरण-पोषण भत्ते को रखा बरकरार

Delhi HC on extra marital affair: कोर्ट में सुनवाई के दौरान पत्नी ने दावा किया कि उसके पति ने उसे मानसिक, मौखिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया. 2010 में वह एक दूसरी महिला को अपने घर ले आया, जिसके उसका साथ अवैध संबंध था. उसने दूसरी महिला को अपने माता-पिता से मिलवाया और अपनी पत्नी के साथ रहना बंद कर दिया.;

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By :  सचिन सिंह
Updated On : 24 Sept 2024 6:35 PM IST

Delhi High Court on extra marital affair: पति का दूसरी महिला के साथ रहना भी घरेलू हिंसा के अंदर ही आता है. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए इस बात को कन्फर्म किया है. दिल्ली HC ने अपने आदेश में कहा है कि अगर पति किसी दूसरी महिला के साथ रहता है और उसके साथ उसका बच्चा भी है तो पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत घरेलू हिंसा की शिकार बनती है. इस दौरान कोर्ट ने एक पति की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी पत्नी को 30,000 रुपये हर महीने गुजारा भत्ता देने के खिलाफ याचिका दायर की थी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिका खारिज करते हुए ये बात कही है. पति ने मानसिक उत्पीड़न सहित चोटों के लिए अपनी पत्नी को अतिरिक्त 5 लाख रुपये मुआवज़ा, 3 लाख रुपये मुआवज़ा और 30,000 रुपये कानूनी फीस देने को भी चुनौती दी. इस विवादित जोड़े की शादी 1998 में हुई थी. पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसे मानसिक, मौखिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया. वह 2010 में एक दूसरी महिला को अपने घर ले आया और उसने उसे अपने माता-पिता से मिलवाया और अपनी पत्नी के साथ रहना बंद कर दिया. इस महिला के साथ उनके पति का अवैध संबंध था.

ससुराल वालों ने दी थी महिला को धमकी

पत्नी ने यह भी खुलासा किया कि उसके ससुराल वालों ने उसे धमकाया कि अगर उसने कोई कार्रवाई की तो उसका पति उसे और उसके बच्चों को आर्थिक मदद देना बंद कर देगा. उसने आरोप लगाया कि उसके पति ने दूसरी महिला से शादी कर ली और उससे एक बेटी भी है.

पति की दलील को खारिज करते हुए जस्टिस प्रसाद ने उसकी इस दलील से असहमति जताई कि पत्नी की शिकायत घरेलू हिंसा अधिनियम के दायरे में नहीं आती. कोर्ट ने कहा कि पत्नी को अपना वैवाहिक घर छोड़ना पड़ा क्योंकि वह अपने पति को किसी दूसरी महिला के साथ रहते हुए बर्दाश्त नहीं कर सकती थी. कोर्ट ने आगे कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए पत्नी के पास अपने बच्चों को पति के माता-पिता के पास छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था और उसके द्वारा उठाए गए कदम जायज थे.

ये सभी महिलाओं का अपमान है -दिल्ली HC

कोर्ट ने 30,000 रुपये हर महीने का गुजारा भत्ता बरकरार रखते हुए कहा कि पत्नी की पैसे कमाने की क्षमता का इस्तेमाल उसके खिलाफ नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करना पति की जिम्मेदारी है. भले ही पत्नी काम करने में सक्षम हो या नहीं. कोर्ट ने आगे कहा कि कई भारतीय महिलाएं अपने परिवार, बच्चों और ससुराल वालों की देखभाल करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ देती हैं. पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी कानून का दुरुपयोग कर रही है. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये सभी महिलाओं का अपमान है. 

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