पीरियड्स रोकने के लिए खाई हार्मोनल गोली, लापरवाही से हुई मौत; क्या है साइलेंट किलर DVT, जिसने छीन ली 18 साल की लड़की की जिंदगी

एक 18 साल की लड़की ने पीरियड्स रोकने के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के हार्मोनल गोली खा ली, जिसके चलते उसे डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT) हो गया. खून का थक्का नाभि तक पहुंच गया और समय पर इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गई. डॉक्टर विवेकानंद ने बताया कि DVT को अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है क्योंकि शुरुआती लक्षण जैसे पैरों में सूजन, दर्द और सांस लेने में तकलीफ को लोग नजरअंदाज कर देते हैं. यह घटना चेतावनी है कि हार्मोनल दवाएं बिना मेडिकल सलाह के लेना बेहद खतरनाक हो सकता है.;

( Image Source:  Sora )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 24 Aug 2025 11:02 PM IST

Deep Vein Thrombosis DVT Hormonal pills side effects: कई बार छोटी सी लापरवाही जिंदगी पर भारी पड़ जाती है. हाल ही में वैस्कुलर सर्जन डॉ. विवेकानंद ने एक पॉडकास्ट में ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला साझा किया. उन्होंने बताया कि सिर्फ 18 साल की एक लड़की, जिसने पीरियड्स रोकने के लिए हार्मोनल दवाइयां ली थीं, अचानक डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) का शिकार हो गई. हालत इतनी गंभीर हो गई कि इलाज में देरी के चलते उसकी मौत हो गई.

डॉक्टर ने बताया कि जांच के दौरान लड़की के शरीर में खून का थक्का जम चुका था, जो उसकी नाभि तक फैल गया था. यह स्थिति बेहद खतरनाक थी, क्योंकि DVT में बनने वाले थक्के अगर फेफड़ों या दिल तक पहुंच जाएं, तो मरीज की जान कुछ घंटों में जा सकती है. सबसे बड़ा झटका तब लगा जब डॉक्टरों ने भर्ती कराने की सलाह दी, लेकिन लड़की के पिता ने मामले की गंभीरता को हल्के में ले लिया. यही देरी आखिरकार जानलेवा साबित हुई.

‘साइलेंट किलर’ है DVT

डॉ. विवेकानंद ने बताया कि DVT को अक्सर ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण- पैरों में सूजन, दर्द, लालिमा या नीला पड़ना, अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. खासकर महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा है, जो हार्मोनल दवाएं लेती हैं, लंबे समय तक बैठकर काम करती हैं या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं.

हार्मोनल गोलियां कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिएं

डॉक्टर ने चेतावनी दी कि हार्मोनल गोलियां कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिएं. ऐसे मामलों में खून के थक्के बनने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. समय पर इलाज मिलने पर खून के थक्के दवाओं से घोले जा सकते हैं और मरीज को बचाया जा सकता है.

अंत में, डॉक्टर ने लोगों से अपील की कि यदि पैरों में अचानक सूजन, दर्द, या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और जरूरी टेस्ट कराएं, क्योंकि यह जिंदगी और मौत के बीच का फर्क तय कर सकता है

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