Constitution Day: नंदलाल बोस ने कला से संवारा था संविधान का पन्ना, रविंद्रनाथ टैगोर के भतीजे से सीखा था गुर
नंदलाल बोस, जिन्होंने भारतीय संविधान के मूल हस्तलिखित पन्नों को कला से संवारा. उनका कार्य न केवल संविधान की ऐतिहासिकता को जीवित रखता है, बल्कि यह हमें भारतीय संस्कृति, समृद्ध इतिहास और एकता का अहसास भी कराता है.;
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाए जाने के दिन को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारतीय संविधान के महत्व और इसके द्वारा दिए गए अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता फैलाना है. भारतीय संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को स्वीकृति दी थी, और यह 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ.
संविधान सभा के प्रमुख सदस्य थे डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान का शिल्पकार माना जाता है, और उन्होंने संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा डॉ. अंबेडकर के साथ अन्य सदस्य भी थे जिन्होंने इस महाकाय दस्तावेज़ को तैयार किया, जैसे पं. जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभभाई पटेल और कई अन्य प्रतिष्ठित नेता. संविधान सभा ने ना केवल एक कानूनी ढांचा तैयार किया, बल्कि यह भारतीय समाज की विविधता, समानता और भाईचारे का प्रतीक भी बना.
लेकिन भारतीय संविधान के अद्वितीय दस्तावेज़ को तैयार करने के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण कार्य किया गया था, और वह था इसके पन्नों को सजाने का. नंदलाल बोस, जो भारतीय चित्रकला के मास्टर थे, ने संविधान की मूल प्रति में अपनी कला से इसे सजाया था. उनका योगदान न केवल कला के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और इतिहास को भी सामने लाता है.
कौन थे नंदलाल बोस?
नंदलाल बोस भारतीय आधुनिक कला के प्रणेता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर कलाकार थे. 3 दिसंबर 1882 को बिहार के मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर में जन्मे नंदलाल बोस ने अपनी कला से भारतीय संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनके पिता पूर्णचंद्र बोस दरभंगा महाराज की रियासत में प्रबंधक थे.
नंदलाल बोस का बचपन से ही कला की ओर झुकाव था. जब वह 16 साल के थे, तब वह पढ़ाई के लिए कोलकाता चले गए. हालांकि, वाणिज्य विषय चुनने के बावजूद उनका मन पढ़ाई में नहीं लगा. इसी दौरान उनकी मुलाकात अवनींद्रनाथ टैगोर से हुई, जो मशहूर चित्रकार और गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के भतीजे थे.
अवनींद्रनाथ टैगोर से मिली प्रेरणा
अवनींद्रनाथ टैगोर की कलाकृतियों से प्रभावित होकर नंदलाल बोस ने उनसे कला की बारीकियां सीखनी शुरू कीं. अवनींद्रनाथ, इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट के संस्थापक थे और भारतीय कला में स्वदेशी तत्वों को शामिल करने के लिए जाने जाते थे. नंदलाल ने कोलकाता के सरकारी कला महाविद्यालय में दाखिला लिया और टैगोर से प्रशिक्षण लिया.
शांति निकेतन और गांधीजी से मुलाकात
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर भी नंदलाल बोस की प्रतिभा से बेहद प्रभावित थे. उनके आग्रह पर नंदलाल ने कई कविताओं के लिए चित्र बनाए. 1922 में उन्हें शांति निकेतन के कला भवन का प्रिंसिपल बनाया गया. यहां उनके कला की गहराई और बढ़ी.
इसी दौरान नंदलाल की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई. गांधीजी के दांडी मार्च पर बनाई गई उनकी श्वेत-श्याम पेंटिंग को आज भी बापू पर बनी महान कलाकृतियों में गिना जाता है.
संविधान की सजावट
आजादी के बाद जब भारत का संविधान लिखा गया, तब इसकी मूल प्रति की सजावट नंदलाल बोस को सौंपी गई. उन्होंने इसे भारतीय इतिहास, परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीकों से सजाया. हर अध्याय की शुरुआत में उन्होंने ऐसी आकृतियां बनाईं जो भारतीय गौरवशाली अतीत को दर्शाती थीं.
इन चित्रों में मोहनजोदड़ो, रामायण, महाभारत, बौद्ध धर्म और मुगल काल जैसे विषय शामिल थे. संविधान के पहले पन्ने पर एक कृति बनाई गई जिसमें भारत के राष्ट्रीय प्रतीक को प्रमुखता दी गई. ये चित्र न केवल सुंदर थे, बल्कि यह संविधान की आत्मा को भी प्रतिबिंबित करते हैं.
अन्य उपलब्धियां और सम्मान
नंदलाल बोस ने भारतीय कला को नई ऊंचाई पर पहुंचाया. उनकी कलाकृतियां ग्रामीण भारत, पौराणिक कथाओं और सामाजिक जीवन को सजीव रूप में दर्शाती हैं. उन्होंने भारत रत्न और पद्मश्री जैसे पुरस्कारों के प्रतीक चिह्न भी डिजाइन किए.
1976 में उनकी कलाकृतियों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा धरोहर का दर्जा दिया गया. दिल्ली की नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में उनकी 6000 से ज्यादा कृतियां प्रदर्शित हैं.
नंदलाल बोस की विरासत
नंदलाल बोस का योगदान भारतीय कला और संस्कृति के लिए अनमोल है. 16 अप्रैल 1966 को कोलकाता में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी कला आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है. संविधान के पन्नों पर बनी उनकी कलाकृतियां हमें याद दिलाती हैं कि कला केवल सुंदरता का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मा और विचारों को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है.