सीएम उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल के बीच कैसा रहेगा संबंध? इन 10 शक्तियों पर रहेगी तनातनी
Jaamu-Kashmir, LG vs CM: जम्मू कश्मीर की अधिकतर अहम ताकतें उपराज्यपाल ही के पास होंगी. केंद्र शासित प्रदेश को आज अपना पहला मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के तौर पर मिल गया. चुनावी नतीजों में नेशनल कांफ्रेंस को 42 सीटे हासिल हुई. ऐसे में पार्टी ने जरुरी संख्या से काफी अधिक विधायकों के साथ सरकार बना ली है.;
Jaamu-Kashmir, LG vs CM: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर उमर अब्दुल्ला ने आज शपथ ली है. उनके पांच कैबिनेट मंत्रियों के साथ आज शपथ ली. हालांकि, पीछली बार की तरह शासन आसान नहीं होने वाला है. इसकी वजह साफ है कि इस बार केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण राज्य की कई शक्तियां उपराज्यपाल के पास होने वाली है. नेशनल कांफ्रेंस की सरकार और जम्मू-कश्मीर LG के बीच कई मामलों में तनाव देखने को मिल सकता है.
ये 10 शक्तियां, जिसपर जम्मू-कश्मीर में सरकार और उपराज्यपाल के बीच देखने को मिल सकता है तनातनी-
- केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण जम्मू-कश्मीर में सीनीयर ब्यूरोक्रेसी से लेकर से लेकर ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के कामकाज में अंतिम निर्णय एलजी का ही होगा. ऐसे में कई फैसलों पर उमर अब्दुल्ला आपत्ति जताते हुए देखे जा सकते हैं.
- कोर्ट में राज्य सरकार की पैरवी करने वाले एडवोकेट जनरल और दूसरे कानून के अधिकारियों की नियुक्ति भी एलजी के हाथों में होगी, जो अमूमन राज्य सरकार के पास होती है.
- मुकदमे को चलाने की इजाजत देने या फिर उस पर रोक लगाने और कोई अपील दायर करने से पहले उमर अब्दुल्ला सरकार को उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी.
- केंद्र शासित प्रदेश के नए नियमों के तहत एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB), लोक अभियोजन निदेशालय, जेल और जम्मू-कश्मीर फोरेंसिक विभाग भी एलजी ही के नियंत्रण में होगा. इन पर उपराज्यपाल का ही अंतिम फैसला होगा.
- बजटीय आवंटन और सरकार के खर्च से जुड़ी चीजों का कमान भी एलजी के हाथों में ही है. हालांकि, इसमें जम्मू कश्मीर की निर्वाचित मंत्रिपरिषद भी शासन में सहयोग की भूमिका निभाएगी.
- किसी भी बिल पर सहमति या फिर उसे रोकने या राष्ट्रपति को विचार के लिए भेजने का अधिकार एलजी का होगा. हालांकि, विधानसभा में वित्तीय मामलों पर बहस और वोटिंग की जा सकती है, लेकिन सभी अनुदान एलजी की मंजूरी के लिए उनके सामने रखने होंगे.
- एलजी के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि जैसे प्रमुख चीजों का नियंत्रण होगा. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 53 के तहत उपराज्यपाल निर्वाचित विधानसभा के दायरे से बाहर के मामलों पर भी हस्तक्षेप करने का अधिकार है.
- एलजी के पास विधायकी की शक्तियां भी हैं, जिसमें वह विधानसभा का सत्र नहीं चलने पर एलजी अध्यादेश भी जारी कर सकते हैं. इसके साथ ही सभी वित्तीय कानूनों को विधानसभा में पेश किए जाने से पहले एलजी की सिफारिश करनी पड़ेगी.
- जम्मू कश्मीर में मंत्रियों का वेतन पर अगर विधानसभा में कानून नहीं बना हो, तो एलजी के पास उनके पारिश्रमिक को तय करने का अधिकार होगा. ऐसे में इन मुद्दों पर सरकार और एलजी के बीच बहस देखने को मिल सकती है.
- जम्मू कश्मीर सरकार में मंत्रिपरिषद का कार्यकाल, मंत्रियों का वेतन और भत्ता एलजी इच्छा पर निर्भर करेगा. एलजी ही इसका फैसला करेंगे.