EXCLUSIVE: ‘तिहाड़ जेल ब्रेक’ में चार्ल्स शोभराज ने हमें ब्लैकमेल किया, अकेले भागने की उसकी औकात नहीं थी
तिहाड़ जेल ब्रेक (1986) की इनसाइड स्टोरी में चौकाने वाला खुलासा हुआ है. चार्ल्स शोभराज को 'हीरो' बताने वाली दिल्ली पुलिस असल में एक गहरी साजिश से अनजान थी. अजय कुमार सिंह ने स्टेट मिरर के साथ हुए पॉडकास्ट में बताया कि शोभराज ने जेल ब्रेक की योजना को हाइजैक किया और सबको ब्लैकमेल कर साथ भागा. असली मास्टरमाइंड भारतीय कैदी थे, जो दिसंबर 1985 से तैयारी कर रहे थे.;
"अब से 39 साल पहले हुई तिहाड़ जेल ब्रेक की दुस्साहसिक घटना में, दिल्ली पुलिस द्वारा ‘विलेन’ से ‘हीरो’ बना डाले गए, फ्रेंच कैदी और बदनाम बिकिनी-लेडी किलर चार्ल्स शोभराज ने, हम सबको (जेल से भागने वाले और मुख्य षडयंत्रकारी खूंखार भारतीय कैदी) न केवल बेवकूफ बनाया बल्कि उसने हमें ‘ब्लैकमेल’ भी किया था. अगर जेल से भागने की हमारी प्लानिंग उसको (चार्ल्स शोभराज) लीक न हो गई होती, तो वो कभी भी तिहाड़ से फरार ही नहीं हो पाता. जेल ब्रेक करने का मुख्य षडयंत्र तो मेरे साथी कैदियों के दिमाग की उपज थी. चार्ल्स शोभराज (Charles Sobhraj) को तो जैसे ही हमारे जेल ब्रेक करने की भनक लगी, वो जबरिया ही हमारी जेल-बैरक (Jail Break) में आ घुसा था. और फिर हमारे सामने उसे अपने साथ भगा ले जाने के अलावा कोई दूसरा, सुरक्षित रास्ता ही नहीं बचा था.”
अब से करीब चार दशक पूर्व 16 मार्च सन् 1986 को घटी “तिहाड़ जेल ब्रेक” की अब तक छिपी रही “इनसाइड स्टोरी” तो अब निकल कर आई है, “स्टेट मिरर हिंदी” के पॉडकास्ट में. पॉडकास्ट की यह कड़ी हाल ही में ‘स्टेट मिरर’ ने अपने यूट्यूब चैनल पर रिलीज की है. पॉडकास्ट में स्टेट मिरर के एडिटर क्राइम से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए अजय कुमार सिंह (Ajay Kumar Singh Tihar Jail Break) ने, 39 साल से दबा पड़ा एक-एक सच खुलकर बयान किया है. अजय कुमार सिंह खुद भी उस टीम का मुख्य हिस्सा रह चुके हैं जिस टीम के साथ, कुख्यात मुजरिम चार्ल्स शोभराज 16 मार्च 1986 को तिहाड़ जेल से फरार हुआ था.
तीन बदमाश तिहाड़ के बाहर मौजूद थे
तिहाड़ जेल के अंदर बंद खतरनाक कैदियों में उस दिन भागने वालों की कुल संख्या पांच थी. बजरंग लाल, लक्ष्मी नारायण सिंह, अजय कुमार सिंह (जिनसे बातचीत पॉडकास्ट में रिकॉर्ड की गई है), बृजमोहन शर्मा और चार्ल्स शोभराज. जब हम पांच तिहाड़ जेल तोड़कर बाहर पहुंचे तो, बाहर हमें तीन-चार हमारे वे साथी मिल गए जिन्होंने तिहाड़ जेल (Tihar Jail Break) से निकलने के बाद हमें, दिल्ली से बाहर सुरक्षित पहुंचाने के लिए एक कार और एक मोटर साइकिल का इंतजाम पहले से कर रखा था. वे नामी बदमाश थे राजू भटनागर, देव त्यागी और चार्ल्स शोभराज का ब्रिटिश मूल का दोस्त डेविड हॉल. डेविड हॉल तिहाड़ जेल में बंद रह चुका था. डेविड हॉल जमानत पर उस दिन जेल से बाहर था. उसे जेल से जमानत दिलवाने में भी चार्ल्स की ही मुख्य भूमिका रही थी. इसी तरह से उस जमाने में तिहाड़ जेल और हिंदुस्तान की पुलिस की नजरों में, खूंखार अपराधी रहे राजू भटनागर ने हमारी जेल से फरारी के लिए फाइनेंस (पैसों का) और एक मोटर साइकिल व एक कार का इंतजाम किया था. जब हम जेल से सुरक्षित बाहर निकल आए तो, राजू भटनाकगर का दोस्त देव कुमार त्यागी, हमारी उस कार का ड्राइवर बना जिसने, हमें सुरक्षित आगे के रास्ते पर दिल्ली से बाहर पहुंचाया.
दिसंबर 1985 से बनी तिहाड़ जेल ब्रेक योजना
स्टेट मिरर के एक सवाल के जवाब में अजय कुमार सिंह बताते हैं, ‘दरअसल 16 मार्च 1986 को हम पांचों के द्वारा किए गए तिहाड़ जेल ब्रेक का षडयंत्र तो, दिसंबर 1985 में ही बनाया जाना शुरु हो चुका था. जब सोची-समझी रणनीति के तहत तिहाड़ जेल नंबर-1में चार्ल्स शोभराज के साथ बंद राजू भटनागर, तभी जमानत पर जेल से बाहर निकल गया. राजू भटनागर से दरअसल मेरी जेल बैरक (तिहाड़ जेल नंबर तीन) में बंद, कुख्यात बैंक डकैत और कई हत्याओं में वांछित बजृमोहन शर्मा की सलाह हो चुकी थी कि, जेल से बाहर जमानत पर जाकर राजू भटनागर पैसों का इंतजाम करेगा. जो जेल ब्रेक की योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए खर्च किया जाएगा. इस योजना से बृजमोहन शर्मा ने मुझसे पहले, मेरी ही जेल बैरक में कैद लक्ष्मी नारायण सिंह से गुपचुप मंत्रणा कर ली थी. राजू भटनागर, लक्ष्मी और बृजमोहन के बीच जेल ब्रेक करके भागने-भगाने के षडयंत्र को, अंजाम देने का वक्त जब बिलकुल करीब आ गया, तो उससे कुछ दिन पहले मुझे बताया गया. मैं उस षडयंत्र को सुनकर भौचक्का रह गया.’
चार्ल्स ने तेज दिमाग का इस्तेमाल किया
जेल ब्रेक करने वाले कैदियों का विश्वासपात्र रहे अजय कुमार सिंह आगे बताते हैं, “दरअसल जब मुझे पता चला उससे पहले जेल के अफसरों-कर्मचारियों से जुगाड़ करके, मास्टरमाइंड चार्ल्स शोभराज अपनी जेल नंबर-1 से हमारी जेल नंबर-3 में अपना ट्रांसफर करवा कर आ चुका था. लक्ष्मी नारायण और बृजमोहन शर्मा ने उससे पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला कि, हम जेल ब्रेक करने वाले हैं? तब उसने खोला कि बृजमोहन शर्मा और लक्ष्मीनारायण के साथ मिलकर, जेल ब्रेक कराने के ही इरादे से, तिहाड़ जेल से जमानत पर पहले ही बाहर जा चुके, राजू भटनागर ने उसे (चार्ल्स शोभराज) बताया है कि, वो भी यानी चार्ल्स शोभराज भी चाहे तो हम सबके साथ भाग सकता है.”
वरना हिंदुस्तानी एजेंसियां-दिल्ली पुलिस मुझे...
इस खतरनाक जेल ब्रेक षडयंत्र में आप कैसे कब क्यों शामिल हो गए? पूछने पर अजय कुमार सिंह बोले, “दरअसल लक्ष्मी नारायण सिंह, बृजमोहन शर्मा और मैं तिहाड़ जेल नंबर-3 की एक ही बैरक में बंद थे. ऐसे में अंत समय में यह तय हुआ कि मैं भी उन सबके साथ ही जेल ब्रेक करके भाग जाऊं वरना, जब वे सब जेल से बाहर भाग चुके होंगे तो हिंदुस्तान की हुकूमत और दिल्ली पुलिस व तिहाड़ जेल प्रशासन, मुझसे कड़ाई से पूछताछ करके पूरी प्लानिंग उगलवा लेगा. और वे सब (राजू भटनागर, देव कुमार त्यागी, डेविड हॉल, चार्ल्स शोभराज, लक्ष्मी नारायण सिंह व बृजमोहन शर्मा और बजरंग, सब के सब बहुत जल्दी ही पकड़ लिए जाएंगे). इसलिए तय हुआ कि 16 मार्च 1986 को उन सबके साथ तिहाड़ जेल से भाग तो मैं भी जाऊं. बाद में जब मामला या कोहराम शांत हो जाए तो मैं दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर कर दूं. तब तक वे सब (मेरे साथ भागे हुए चार्ल्स शोभराज, लक्ष्मी, बृजमोहन, राजू भटनागर, देव कुमार त्यागी और डेविड हॉल,बजरंग) अपनी अपनी जगह सेटल हो चुके होंगे.”
क्या सच में चार्ल्स शोभराज और इन्हीं अजय कुमार सिंह ने तिहाड़ जेल से फरारी के वक्त जेल सुरक्षाकर्मियों को 50-50 रुपए के नोट बांटे थे? बताने के लिए अभी यह सीरीज जारी रहेगी... लगातार कई दिन तक आते रहिए इससे जुड़ी अभी और कई ‘इनसाइड स्टोरी’ पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक करके... https://www.statemirror.com/