इसरो तो अब कमाल ही कर देगा, चंद्रयान 4 मिशन को मिली मंजूरी
मोदी सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को हरी झंडी दे दी है. जो एक अभूतपूर्व चंद्र अन्वेषण परियोजना है जिसका उद्देश्य चन्द्रमा पर उतरने, नमूने एकत्र करने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है.;
Chandrayaan-4 mission: केंद्र की मोदी सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को हरी झंडी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी है। चंद्रयान-4 एक अभूतपूर्व चंद्र अन्वेषण परियोजना है, जिसका उद्देश्य चन्द्रमा पर उतरने, नमूने एकत्र करने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है।
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने शुक्र ग्रह की कक्षा संबंधी अभियान, चंद्रयान-4 और गगनयान अभियान के विस्तार को मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने भारी वजन ले जाने में सक्षम प्रक्षेपण यान को भी मंजूरी दी है, जो पृथ्वी की कक्षा में 30 टन का पेलोड स्थापित करेगा।
चंद्रयान-4 क्या है उद्देश्य?
चंद्रयान-4 नामक इस चंद्र मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक तकनीकों को विकसित करना है। यह विश्लेषण के लिए चंद्रमा के नमूने भी एकत्र करेगा।
मिशन चंद्रयान-4 क्यों है खास?
केंद्र सरकार ने कहा कि चंद्रयान-4 मिशन में डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रमुख तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
इसरो लगभग 36 महीने में इसके विकास करने और लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। इस प्रोजेक्ट की कीमत ₹2,104.06 करोड़ होगी, जिसमें स्पेसक्राफ्ट बनाने, दो LVM3 लॉन्च करने, स्पेस में नेटवर्क सपोर्ट सिस्टम बनाया और स्पेशल टेस्ट किया जायेगा।
इस मिशन में भारत द्वारा अब तक इस्तेमाल किया गया सबसे शक्तिशाली रॉकेट सिस्टम शामिल होगा। मिशन में कई लॉन्च शामिल हैं, जिसके बाद मॉड्यूल को अंतरिक्ष में ही इकट्ठा किया जाएगा।
इस मिशन में दो अलग-अलग रॉकेट का इस्तेमाल होगा। हेवी-लिफ्टर LVM-3 और इसरो का रिलायबल वर्कहॉर्स PSLV अलग-अलग पेलोड लेकर जाएंगे। इस मिशन का पहला प्रक्षेपण साल 2028 तक करने का लक्ष्य है।