चीन-पाक-बांग्लादेश की तिकड़ी भारत के लिए नई जंग का ट्रिगर! CDS अनिल चौहान ने क्यों दी चेतावनी?

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के संभावित सामरिक गठजोड़ को भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है. ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहला मौका था जब दो परमाणु संपन्न देश सीधे युद्ध में शामिल हुए. हिंद महासागर में बाहरी ताकतों के बढ़ते प्रभाव पर भी उन्होंने गंभीर चिंता जताई.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने एक थिंक टैंक कार्यक्रम में भारत की सुरक्षा के लिए चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के संभावित गठजोड़ को एक गंभीर खतरा बताया. उन्होंने कहा कि इन देशों के बीच हितों की समानता भारत की स्थिरता और सुरक्षा संरचना को अस्थिर कर सकती है. उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत पहले से ही उत्तर और पश्चिमी सीमाओं पर सैन्य दबाव का सामना कर रहा है.

जनरल चौहान ने 7 से 10 मई 2025 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष "ऑपरेशन सिंदूर" का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संभवतः पहली बार था जब दो परमाणु हथियार संपन्न देश प्रत्यक्ष रूप से एक सैन्य टकराव में शामिल हुए. उन्होंने इसे वैश्विक सैन्य इतिहास का एक अहम मोड़ बताया और कहा कि यह पूरे विश्व के लिए चेतावनी हो सकती है.

परमाणु झांसे को दरकिनार करने की रणनीति

जनरल चौहान ने पाकिस्तान द्वारा बार-बार परमाणु धमकी देने की प्रवृत्ति को "ब्लैकमेल" करार देते हुए कहा कि भारत अब इस झांसे से नहीं डरता. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का 'नो फर्स्ट यूज' परमाणु सिद्धांत न केवल भारत की जिम्मेदार रणनीति का प्रतीक है, बल्कि इससे पारंपरिक सैन्य कार्रवाई की गुंजाइश भी बनी रहती है.

पाक को मिला जवाब

सीडीएस ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने सीमित और सटीक सैन्य कार्रवाई करते हुए आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे आगे के आतंकी हमलों को रोका जा सके. पाकिस्तान ने संघर्ष को पारंपरिक स्तर पर ले जाकर अपनी परमाणु धमकियों की सीमा खुद तय कर दी, जिससे उसकी रणनीतिक स्थिति कमजोर हुई.

हिंद महासागर में बढ़ता बाहरी प्रभाव

चौहान ने चिंता जताई कि हिंद महासागर क्षेत्र के आर्थिक संकटग्रस्त देशों में बाहरी ताकतें, विशेषकर चीन, अपने प्रभाव का विस्तार कर रही है. इससे भारत की सामरिक स्थिति और समुद्री सुरक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है. यह चेतावनी तब आई है जब श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश में चीनी निवेश और सैन्य गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है.

पाकिस्तान-चीन सैन्य गठबंधन की हकीकत

जनरल चौहान ने बताया कि पाकिस्तान अपने 70-80% हथियार अब चीन से खरीद रहा है और चीनी रक्षा कंपनियां पाकिस्तान में वाणिज्यिक और रणनीतिक रूप से निवेश कर रही हैं. यह संबंध केवल रक्षा उपकरणों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें तकनीकी और साइबर सहयोग भी शामिल है.

बांग्लादेश के साथ तनाव

सीडीएस की टिप्पणी उस पृष्ठभूमि में आई जब बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं, और ढाका के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण हैं. इस राजनीतिक संकट का फायदा उठाकर चीन और पाकिस्तान जैसे देश बांग्लादेश को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे भारत की पूर्वी सीमा भी संवेदनशील बन सकती है.

भविष्य की सैन्य चुनौतियों पर चेतावनी

अंत में, जनरल चौहान ने लंबी दूरी की मिसाइलें, ड्रोन और हाइपरसोनिक हथियारों की चुनौतियों पर जोर दिया और कहा कि फिलहाल ऐसी कोई अचूक प्रणाली नहीं है जो इन सभी खतरों को एकसाथ निष्क्रिय कर सके. उन्होंने कहा कि भारत को अब युद्ध के नए आयाम जैसे साइबर, स्पेस और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा.

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