'विवाह से जाति नहीं बदल सकती लेकिन बच्चे होंगे आरक्षण के हकदार', सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दलित पुरुष और गैर-दलित महिला की शादी को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पति अपने बच्चों के लिए अनुसूचित जाति (SC) सर्टिफिकेट बनवाएं. इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने की. कोर्ट ने अपने फैसले में एक मामले का उदाहरण दिया कि 'जन्म के आधार पर जाति तय होती है और विवाह से जाति नहीं बदल सकती.' इसलिए जूही पोरिया के पति एससी समुदाय से हैं, उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता है.;
Supreme Court: देश में लोग अलग-अलग जाति-धर्म के होने के बाद भी लव मैरिज करते हैं, लेकिन कई बार रिश्ता तलाक तक पहुंच जाता है. ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने गुरुवार को दलित पुरुष और गैर-दलित महिला की शादी को रद्द कर दिया.
जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पति अपने बच्चों के लिए अनुसूचित जाति (SC) सर्टिफिकेट बनवाएं. इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने की.
कोर्ट ने रद्द की शादी
कोर्ट ने जूही पोरिया और प्रदीप पोरिया को तलाक देते हुए कहा कि गैर-दलित महिला शादी के जरिए अनुसूचित जाति में शामिल नहीं हो सकती है. हालांकि उनके बच्चों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त होगा और सरकार की ओर ने मिलने वाली कोटे की सुविधा में मिलेगी. कोर्ट ने अपने फैसले में एक मामले का उदाहरण दिया कि 'जन्म के आधार पर जाति तय होती है और विवाह से जाति नहीं बदल सकती.' इसलिए जूही पोरिया के पति एससी समुदाय से हैं, उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता है.
बच्चों को मिलेगा ये अधिकार
कोर्ट ने इस मामले में दोनों के 11 साल के बेटे और 6 साल की बेटी के लिए एससी जाति का प्रमाणपत्र प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है. दोनों बच्चे पिछले 6 सालों से अपनी मां के साथ रायपुर में अपने नाना-नानी के घर पर रह रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि तलाक के बाद भी बच्चों को अनुसूचित जाति के तहत सरकारी शिक्षा और नौकरी के लाभ प्राप्त करने का अधिकार होगा. पति को छह महीने के अंदर बच्चों का एससीस सर्टिफिकेट प्राप्त करने का आदेश दिया है.
पति उठाना होगा बच्चों का खर्चा- SC
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदीप पोरिया को आदेश दिया कि उसे बच्चों की शिक्षा (पोस्ट-ग्रेजुएशन तक) सभी खर्च, जैसे कि एडमिशन फीस, ट्यूशन फीस और आवासीय खर्च उठाना होगा. साथ ही बता दें कि पति ने पत्नी और बच्चों के जीवनभर के मेंटिनेंस के तौर पर 42 लाख रुपये का भुगतान किया है. साथ ही कोर्ट ने रायपुर में पति का एक जमीन का प्लॉट भी पत्नी को देने का आदेश दिया गया है.
इससे पहले अगस्त में पीठ ने पति को पत्नी के लिए दोपहिया वाहन खरीदने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने महिला को निर्देश दिया कि वह बच्चों और उनके पिता के बीच रिश्तों को सुधारने में सहयोग करे. इसलिए बच्चों की समय-समय पर पिता से मुलाकात करवाए और छुट्टी में साथ समय बिताने दे.