अब आसानी ने मिलेगी लिविंग विल से जुड़ी जानकारी, बॉम्बे HC ने महाराष्ट्र सरकार को दिया बड़ा आदेश
Bombay High Court : बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को लिविंग विल दस्तावेजों की जानकारी आसानी से मिल जाए, इसके लिए खास व्यवस्था करने का आदेश दिया है. लिविंग विल एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें व्यक्ति यह लिखकर बताता है कि अगर वह गंभीर रूप से बीमार हो जाए और अपनी बात न कह सके तो उसे कौन-कौन से जीवन रक्षक इलाज चाहिए या नहीं चाहिए.;
Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को लिविंग विल दस्तावेजों को लेकर बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने इसकी जानकारी आसानी से मिल पाए, इसके लिए तीन महीने में एक व्यवस्था तैयार करने का आदेश दिया है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एम.एस. कर्णिक की बेंच ने की. सरकारी की ओर से पेश वकील नेहा भिडे ने अदालत को बताया कि सरकार जल्द ही एक ऐसी व्यवस्था बनाएगी जिससे लिविंग विल दस्तावेज जल्दी और आसानी से मिल सकें.
जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने दिसंबर 2024 में एक सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया था, जिसमें अलग-अलग स्थानीय निकायों में जिम्मेदार अधिकारियों को लिविंग विल दस्तावेजों को जमा करने और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी दी गई थी.
क्या है लिविंग विल?
लिविंग विल एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें व्यक्ति यह लिखकर बताता है कि अगर वह गंभीर रूप से बीमार हो जाए और अपनी बात न कह सके तो उसे कौन-कौन से जीवन रक्षक इलाज चाहिए या नहीं चाहिए. इसमें दर्द से राहत और अंगदान से जुड़ी इच्छाएं भी हो सकती हैं. सरकार ने इस संबंध में एक प्राथमिक मेडिकल बोर्ड बनाया गया है जो यह देखेगा कि लिविंग विल को सही तरीके से लागू किया गया है या नहीं.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार कुछ अन्य मेडिकल बोर्ड या समितियां भी बनाई गई हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह जल्द ही एक और आदेश निकालने जा रही है जिसमें अधिकारियों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) यानी तय प्रक्रिया बनाई जाएगी.
जल्द लॉन्च होगा पोर्टल
महाराष्ट्र लिविंग विल के रजिस्ट्रेशन के लिए एक वेब पोर्टल भी लॉन्च करने वाली है. इस संबंध में तैयारी की जा रही है. लिविंग विल को लेकर सीनियर वकील डॉक्टर अरविंद दातार ने याचिका दायर की थी. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) की तरफ से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (RMP) को बोर्ड में शामिल किया जाए. कोर्ट ने कहा कि अगर भविष्य में योजना के लागू होने में कोई परेशानी हो तो याचिकाकर्ता फिर से कोर्ट आ सकते हैं. अब राज्य सरकार कोर्ट के आदेश को समय पर पूरा करने की तैयारी कर रही है, जिससे किसी को परेशानी न हो.