फिर चर्चा में जॉर्ज सोरोस, क्‍या है FDL-AP जिससे सोनिया गांधी के संबंधों पर मचा है बवाल?

बीजेपी ने कहा कि सोनिया गांधी के राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता के कारण जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ साझेदारी हुई, जो भारतीय संगठनों पर विदेशी फंडिंग के प्रभाव को दर्शाता है. बीजेपी ने आगे कहा, 'कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सार्वजनिक रूप से जॉर्ज सोरोस को अपना 'पुराना मित्र' बताया है.';

George Soros
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 9 Dec 2024 1:05 PM IST

BJP allegations George Soros-Sonia Gandhi connection: जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन का एक वित्तपोषित संगठन FDL-AP फाउंडेशन इन दिनों सुर्खियों में है. इस संगठन ने कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के विचार का समर्थन भी किया है. हालांकि, हाल में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इसका कनेक्शन बताया जा रहा है, जिसका दावा बीजेपी ने किया है.

बीजेपी का आरोप है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी का कनेक्शन जॉर्ज सोरोस से हैं, जिनपर आरोप है कि वो भारत को तोड़ने जैसे गतिविधि में शामिल है. सत्तारूढ़ पार्टी ने एक्स पर कई पोस्ट में कहा कि यह संबंध भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी संस्थाओं के प्रभाव को दर्शाता है. 

क्या है FDL-AP फाउंडेशन?

एशिया-प्रशांत में लोकतांत्रिक नेताओं का मंच (FDL-AP) एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसकी स्थापना दिसंबर 1994 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र और उसके बाहर लोकतंत्र को बढ़ावा देने के मिशन के साथ की गई थी, जिसमें सभी आवश्यक शर्तें और संस्थाएं शामिल हैं. इसकी सह-अध्यक्षों में सोनिया गांधी भी शामिल हैं. ये संगठन कश्मीर को भारत से अलग होने और कश्मीर की स्वतंत्रता का समर्थन करता है.

जॉर्ज सोरोस कौन हैं?

हंगेरियन-अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस को एक परोपकारी व्यक्ति माना जाता हैं जो खुद को एक राष्ट्रविहीन राजनेता कहते हैं. अमेरिका में उनके विरोधी आम तौर पर रिपब्लिकन वामपंथी और आप्रवासी समर्थक मुद्दों के प्रति उनके समर्थन के कारण उन्हें रेड जॉर्ज कहते हैं. सोरोस फंड मैनेजमेंट लिमिटेड लायबिलिटीज़ कंपनी के अध्यक्ष और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक जॉर्ज सोरोस का जन्म 1930 में हंगरी में हुआ था. वह नाजी कब्जे के दौरान तथा बाद में 1947 तक लौह पर्दे के नीचे रहे.

1947 में वे लंदन चले गए. पढ़ाई की और कुछ छोटी-मोटी नौकरियां की और फिर 1956 में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए. 1970 में 40 वर्ष की उम्र में सोरोस ने अपना हेज फंड लॉन्च किया और एक सफल इनवेस्टर्स बन गए. अपनी पुस्तक द एज ऑफ फालिबिलिटी में सोरोस ने लिखा है कि वे फिलेंथ्रोपिस्ट तब बने जब उनके हेज फंड की कीमत 100 मिलियन डॉलर हो गई. 1979 में सोरोस ने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन बनाकर अपना फिलेंथ्रोपिस्ट कार्य शुरू किया, जो 120 से अधिक देशों में फाउंडेशनों और परियोजनाओं को वित्त पोषित करता है.

जॉर्ज सोरोस-राहुल गांधी संबंध क्या है?

BJP के आधिकारिक एक्स अकाउंट से गुरुवार को कई पोस्ट जारी कर राहुल गांधी पर भारत को अस्थिर करने के लिए निहित स्वार्थी तत्वों से हाथ मिलाने का आरोप लगाया गया. बीजेपी इस बात को भी सामने लेकर आई कि ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी 2023 में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ चले.

USAID और सोरोस का ओपन सोसाइटी फाउंडेशन दोनों ही ओसीसीआरपी को फंड देते हैं. यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय, फ्रांस का यूरोप और विदेश मंत्रालय और स्कोल फाउंडेशन भी इसे फंड देते हैं.

भाजपा ने दावा किया कि राहुल गांधी की अमेरिका और ब्रिटेन की लगातार यात्राएं इस संबंध को और मजबूत करती हैं. उदाहरण के लिए पिछले साल उज्बेकिस्तान की उनकी गुप्त यात्रा के दौरान USAID (जो ओसीसीआरपी को फंड करता है) की प्रशासक सामंथा पावर भी उसी समय वहां मौजूद थीं.

जॉर्ज सोरोस और भारत के संबंध

सोरोस की फाउंडेशन ने 1999 में भारत में काम करना शुरू किया. भारत पर फाउंडेशन फैक्टशीट के अनुसार, 2014 में फाउंडेशन ने भारत-विशिष्ट अनुदान-निर्माण कार्यक्रम शुरू किया. 2016 से स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के लिए हमारे वित्तपोषण पर सरकारी प्रतिबंधों के कारण भारत में हमारा अनुदान बाधित हुआ है.

पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम के अंतर्गत आने वाले विदेशी कोषों पर कड़े नियम लागू हो गए हैं. 2021 तक सोरोस की फाउंडेशन ने अपनी भारत गतिविधियों में लगभग 3.4 करोड़ रुपये दिए हैं, जो उस वर्ष दुनिया भर में इसकी कुल 12,703 करोड़ रुपये की फंडिंग का 0.02 प्रतिशत है.

जॉर्ज सोरोस और विवाद का कनेक्शन

राहुल गांधी जहां लगातार अडानी और मोदी कनेक्शन की बात करते हैं. फरवरी 2023 में जॉर्ज सोरोस ने कहा था कि गौतम अडानी की व्यावसायिक परेशानियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कमजोर हो जाएंगे और देश में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान के लिए द्वार खुल जाएगा. हिंडनबर्ग रिसर्च की अडानी पर स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी करने के बाद सोरोस ने कथित तौर पर कहा कि पीएम मोदी को सवालों का जवाब देना होगा.

सोरोस के लिए विवादों से घिरना कोई नई बात नहीं है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण की आलोचना की और डेमोक्रेट्स को दान देना शुरू किया. जल्द ही वह रिपब्लिकनों की कठोर आलोचना और षड्यंत्रों का विषय बन गये. 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद यह कटुता और बढ़ गई. ट्रंप के समर्थक और कुछ मीडिया चैनल अक्सर उन पर हिंसा फैलाने और राज्य को गिराने के लिए प्रवासियों को भड़काने का आरोप लगाते हैं. 

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