Birth Of Universe : कैसे बने पहले एटम? बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड के इनिशियल स्ट्रक्चर की शुरुआत
बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड ठंडा हुआ और हाइड्रोजन-हीलियम के एटम बने. इनसे तारे, आकाशगंगाएं और ब्रह्मांड का कॉस्मिक वेब बना. जानिए बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड के इनिशियल स्ट्रक्चर की शुरुआत की कहानी.;
बिग बैंग के बाद का समय ब्रह्मांड के इतिहास का सबसे दिलचस्प दौर था. जब बिग बैंग हुआ, तब ब्रह्मांड एक छोटे, घने और बेहद गर्म पॉइंट से फैला. यह पॉइंट इतना ज्यादा एनर्जी और हीट से भरा हुआ था कि कुछ भी ठोस नहीं बन सकता था. हर जगह सिर्फ एनर्जी थी, और हर चीज़ हाइपर फास्ट मूव कर रही थी.
लेकिन जैसे-जैसे ब्रह्मांड फैला, इसका तापमान धीरे-धीरे गिरा. इस ठंडक ने ब्रह्मांड को स्ट्रक्चर और स्थिरता देना शुरू किया. छोटे-छोटे पार्टिकल्स, जैसे प्रोटॉन्स, न्यूट्रॉन्स और इलेक्ट्रॉन्स, बनने लगे. इन्हीं पार्टिकल्स ने बाद में एटम बनाए. आइए, इस सफर को थोड़ा और गहराई से समझते हैं.
बिग बैंग के बाद का सफर
बिग बैंग के तुरंत बाद का समय बहुत ही हलचल भरा था.
प्लैंक युग (Planck Era):
- यह वो दौर था जब ब्रह्मांड में सिर्फ एनर्जी थी.
- कण (particles) का कोई अस्तित्व नहीं था. हर जगह सिर्फ हाइपर एनर्जी का सूप फैला हुआ था.
क्वार्क-ग्लूऑन सूप (Quark-Gluon Soup):
- ब्रह्मांड का तापमान थोड़ा कम हुआ, तो क्वार्क्स और ग्लूऑन्स जैसे सूक्ष्म कण बनने लगे.
- यही कण आगे चलकर प्रोटॉन्स और न्यूट्रॉन्स का निर्माण करते हैं.
न्यूक्लियोसिंथेसिस (Nucleosynthesis):
- बिग बैंग के लगभग तीन मिनट बाद, प्रोटॉन्स और न्यूट्रॉन्स ने मिलकर पहले एटमिक न्यूक्लियस (atomic nucleus) बनाए.
- हाइड्रोजन और हीलियम जैसे हल्के तत्व बने, जो ब्रह्मांड का पहला 'बिल्डिंग ब्लॉक' बने.
380,000 साल बाद: पहला एटम
ब्रह्मांड के ठंडा होने में लाखों साल लगे. 380,000 साल बाद, जब ब्रह्मांड का तापमान लगभग 3,000 केल्विन तक गिरा, तब इलेक्ट्रॉन्स और प्रोटॉन्स ने मिलकर एटम बनाए.
पहला एटम:
- सबसे पहले न्यूट्रल हाइड्रोजन एटम बना.
- इसके बाद हीलियम और लिथियम जैसे हल्के तत्व बने.
कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB):
- एटम बनने के दौरान, ब्रह्मांड से रेडिएशन निकला, जिसे CMB के रूप में आज भी डिटेक्ट किया जा सकता है.
गुरुत्वाकर्षण का रोल: तारे और गैलेक्सीज़ का जन्म
एटम बनने के बाद ब्रह्मांड में गैस और धूल का जाल फैला हुआ था.
गैस क्लाउड्स और ग्रेविटी:
- हाइड्रोजन और हीलियम के ये गैस क्लाउड्स गुरुत्वाकर्षण (gravity) के कारण एक साथ खिंचने लगे.
- क्लाउड्स के अंदर का प्रेशर और टेम्परेचर इतना बढ़ गया कि न्यूक्लियर फ्यूजन (nuclear fusion) शुरू हो गया.
पहले तारे:
- जब न्यूक्लियर फ्यूजन हुआ, तब ब्रह्मांड में पहले तारे (stars) बने.
- ये तारे बहुत बड़े और गर्म थे, और इन्होंने ब्रह्मांड में लाइट और एनर्जी फैलाना शुरू किया.
स्टार क्लस्टर्स से गैलेक्सीज़:
- कई तारे मिलकर स्टार क्लस्टर्स और फिर गैलेक्सीज़ में बदल गए.
- हमारी 'मिल्की वे' जैसी गैलेक्सीज़, इसी तरह बनीं.
कॉस्मिक वेब: ब्रह्मांड का जाल
कॉस्मिक वेब का निर्माण:
- डार्क मैटर और गुरुत्वाकर्षण ने ब्रह्मांड को एक जालीदार संरचना (web-like structure) में बांध दिया.
- इस वेब में गैलेक्सी क्लस्टर्स और सुपरक्लस्टर्स स्थित हैं.
डार्क मैटर की भूमिका:
- डार्क मैटर ने ब्रह्मांड की स्ट्रक्चर बनाने में मदद की.
- यह डार्क मैटर ही था जिसने मैटर को स्थिरता और ग्रेविटी दी.
जटिल संरचनाएं:
- आज जो हम तारे, गैलेक्सीज़ और अन्य कॉस्मिक स्ट्रक्चर्स देखते हैं, वे इसी वेब और डार्क मैटर का नतीजा हैं.
आज भी ब्रह्मांड का विकास जारी है. हर गैलेक्सी में नए तारे बन रहे हैं. भविष्य में हमारी मिल्की वे और एंड्रोमेडा गैलेक्सी के टकराने की संभावना है.