Assembly Election Results 2024: कौन जीता कौन हारा? महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव के 10 स्टार
Maharashtra, Jharkhand assembly election results: महाराष्ट्र, झारखंड और यूपी उपचुनाव में कई ऐसे नेता रहे, जिन्होंने जीत में असल भूमिका निभाई. इनमें कई ने जीत दर्ज की तो कई इसमें असफल रहे. ऐसे में इस बार का चुनावी परिणाम कई मायनों में भविष्य तय करने वाला रहा.;
Maharashtra, Jharkhand assembly election results: भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र में शानदार जीत दर्ज की है. हालांकि, झारखंड में एनडीए को हार का स्वाद चखना पड़ा. बीजेपी के यूपी उपचुनाव में जीत ने भी लोकसभा में हार से छवि को सुधारा है. इस बीच, झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) की घुसपैठ विरोधी मुहिम को धता बताते हुए सत्ता में वापसी के लिए तैयार है.
इन बेहद अहम चुनावों में शीर्ष 10 विजेताओं और हारने वालों पर डालते हैं एक नजर-
जीतने वाले स्टार लीडर्स
1. पीएम मोदी और अमित शाह
प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर अपनी चुनावी महारत साबित की है. पीएम मोदी के 'एक है तो सुरक्षित है' नारे के साथ उनकी रणनीति ने भाजपा और महायुति गठबंधन को महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत हासिल करने में मदद की. उन्होंने 10 रैलियों में 106 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 16 रैलियों के माध्यम से 38 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया, जबकि कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने केवल 7 और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सिर्फ 9 रैलियों को कवर किया.
2. एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र की लड़ाई पहचान और विरासत की भी थी. 2022 में शिवसेना के विभाजन ने इस चुनाव में सेना बनाम सेना को जन्म दे दिया. यह एकनाथ शिंदे के लिए लोकप्रियता की लड़ाई थी, जिन्होंने बीजेपी के साथ आकर सीएम पद की शपथ ली थी. चुनाव अभियान शिंदे के हालिया योजना और सीएम की 'लाडली बहना योजना' पर केंद्रित था, जो गरीब महिलाओं को आर्थिक सहायता देता था.
3. अजित पवार
महाराष्ट्र में जैसे सेना बनाम सेना देखने को मिली, वैसे ही पवार बनाम पवार की लड़ाई भी दिलचस्प रही. शरद पवार से अलग होकर भतीजे अजित पवार ने बीजेपी से हाथ मिलाया और डिप्टी सीएम की शपथ ली. हालांकि, विधानसभा चुनाव में अजित पवार ने पवार बनाम पवार की इस लड़ाई को जीत लिया है.
4. देवेंद्र फडणवीस
अपनी जीत के साथ ही एकनाथ शिंदे के साथ अब फडणवीस भी सीएम पद के लिए सबसे आगे हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके भाजपा इस विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी विजेता बनकर उभरी है. आरएसएस में गहरी पैठ रखने वाले 54 वर्षीय फडणवीस ने लोकसभा में मिली हार के बाद संगठन के साथ समन्वय में भाजपा की मदद की.
5. योगी आदित्यनाथ
भाजपा के स्टार कैंपेनर के तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र और झारखंड दोनों में कई रैलियों के माध्यम से भाजपा के लिए प्रचार किया. उनके नारे 'बटेंगे तो कटेंगे' ने खुब लोकप्रियता हासिल की और महायुति के नेताओं में ही फूट पड़ गई. खुद पीएम मोदी ने कभी भी यूपी सीएम के नारे का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि चुनाव प्रचार के दौरान 'एक है तो सुरक्षित है' का नारा लगाया. हालांकि, महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने दिखा दिया है कि योगी आदित्यनाथ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
6. हेमंत और कल्पना सोरेन
हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला इंडिया ब्लॉक झारखंड की सत्ता में एक बार फिर से वापसी कर रही है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनावों में जेएमएम गठबंधन को शानदार जीत दिलाई है. हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी, विधायक कल्पना सोरेन ने चुनाव की घोषणा के बाद लगभग 200 अभियान रैलियां कीं. हेमंत और कल्पना ने सार्वजनिक सहानुभूति के माध्यम से प्रभावी रूप से आदिवासी समर्थन हासिल किया.
हारने वाले स्टार लीडर्स
7. शरद पवार
लोकसभा चुनाव में बढ़त के बाद भी शरद पवार की पार्टी एनसीपी-एसपी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हार रही है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टी कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना दोनों से पीछे रही. इससे पहले शरद पवार ने 2026 में अपना राज्यसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद रिटायर होने का संकेत दिया था.
8. उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने सेना बनाम सेना की सबसे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा की लड़ाई में उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका दिया है. 'कौन है असली शिवसैनिक' की लड़ाई भी वह हार गए. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों ने अपना फैसला सुनाया है और यह उद्धव ठाकरे के पक्ष में नहीं है.
9. राहुल गांधी और कांग्रेस
एक और चुनाव, एक और हार और कांग्रेस फिर से कोई प्रभाव डालने में असफल साबित रही. लोकसभा में बढ़त के बावजूद कांग्रेस हरियाणा हार गई और अब महाराष्ट्र में भी फिसल गई. इसके स्टार प्रचारक राहुल गांधी भी भाजपा के सत्ता विरोधी लहर से लड़ने के बावजूद पार्टी की किस्मत नहीं बदल पाए. कांग्रेस को एमवीए में सबसे बड़ी सीट-शेयर 101 सीटें मिलीं. इसके बावजूद पार्टी केवल 20 प्रतिशत सीटों पर ही बढ़त हासिल करने में सफल रही.
10. हिमंत बिस्वा सरमा
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड में भाजपा के चुनाव सह-प्रभारी की भूमिका संभालने के बाद असफल हो गए. उनका बांग्लादेशी घुसपैठ वाला मुद्दा काम नहीं कर पाया. संथाल परगना क्षेत्र, जो छह जिलों को शामिल करता है और इसमें अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए विशेष रूप से नामित सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. हालांकि, झारखंड में यह ध्रुवीकरण की बयानबाजी काम नहीं कर पाई.