Trump 2.0: ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति का भारत के साथ संबधों पर क्या होगा असर?
अमेरिका में अगर डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो इसका असर भारत के साथ रिश्तों पर पड़ सकता है. ट्रम्प ने साफ किया है कि वह अमेरिका फर्स्ट सिद्धांतों पर ध्यान देंगे और अमेरिकी विदेश नीति को नया रूप दे सकते हैं.;
US Election Results 2024: अमेरिका में हुए राष्ट्रपति के चुनाव के बाद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर जीत की ओर बढ़ रहे हैं. उनके पहले कार्यकाल में अमेरिका और भारत के रिश्ते काफी सकारात्मक थे और अब एक बार फिर से रिश्तों को नई ऊंचाई देने पर दोनों देश काम करते वाले हैं.
अमेरिका में अगर डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो इसका असर भारत के साथ रिश्तों पर पड़ सकता है. ट्रम्प ने साफ किया है कि वह अमेरिका फर्स्ट सिद्धांतों पर ध्यान देंगे और अमेरिकी विदेश नीति को नया रूप दे सकते हैं. आज जीत के बाद उनके पहले संबोधन में मोदी-मोदी के नारे भी सुनने को मिले.
ट्रम्प की जीत से भारत पर क्या होगा असर?
- भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में अमेरिका चुनाव पर बात की. उन्होंने कहा कि ट्रम्प और कमला हैरिस में कोई भी जीते, अमेरिका के और अधिक अलगाववादी बनने की संभावना है. अरबपति के राष्ट्रतित्व के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों की आधारशिला थी.
- अमेरिका में ट्रम्प सरकार की वापसी से भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है. क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू खपत पर निर्भर करती है. इसके अलावा वस्तुओं की कीमतों, सप्लाई चेन में बदलाव और विदेशी संबंधों से भी भारत को लाभ होने वाला है.
- बिजनेस के हिसाब के देखें तो डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव जीत जाते हैं तो भारतीय आईटी कंपनियों को फायदा हो सकता है. अगर ट्रम्प ने चीन के Most Favored Nation का दर्जा खत्म कर दें.
- इससे पहले 2020 के चुनाव में पीएम मोदी ने नारा दिया था कि 'अबकी बार ट्रम्प सरकार' इसके बाद से दोनों नेताओं के बीच अच्छी दोस्ती देखने को मिली. अब देखना यह होगा कि ट्रम्प भारत से कैसी दोस्ती निभाते हैं.
- चुनाव में कमला हैरिस जीतती हैं को वह बाइडन सरकार की मौजूदा नीति को आगे बाएंगीं. लेकिन ट्रम्प चीन को लेकर फिस से अपनी नीति को कड़ा रखेंगे. ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान ही 2017 में क्वाड का गठन किया गया था. जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका शामिल हैं.
- ट्रम्प आव्रजन पर प्रतिबंधात्मक रुख देखने को मिलता है. एच-1बी वीजा कार्यक्रम ने ऐतिहासिक रूप से भारतीय पेशेवरों को प्रभावित किया है. उनके प्रशासन ने विदेशी कर्मचारियों के लिए सैलरी की जरूरत को बढ़ाने और अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया. जिससे भारतीय आईटी सेक्टर और प्रौद्योगिकी फर्मों के लिए चुनौती पैदा हुई.
- अमेरिका में ट्रम्प की जीत से भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में टैरिफ के मुद्दे पर विवाद हो सकता है. ट्रम्प ने पिछले कार्यकाल में कहा था कि वह अमेरिकी चीजों पर भारी आयात टैक्स लगाता है जिससे अमेरिका से भारत निर्यात कम होता है.
- अमेरिका दुनिया भर में खुद को मानवाधिकार और लोकतंत्र का ठेकेदार बना रहता है. ट्रम्प मानवाधिकार पर बहुत मुखर नहीं रहते हैं. जब वह राष्ट्रपति थे तब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था. तब ट्रम्प ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी.
- नाटो के प्रति ट्रम्प के रुख से पता चलता है कि वह सैन्य समझौतों के प्रति भी इसी तरह का सतर्क रुख अपना सकते हैं. हालांकि भारत-अमेरिका सैन्य सहयोग इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के साझा लक्ष्य के कारण जारी रह सकता है.
- डोनाल्ड ट्रम्प रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कई बार दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि अगर वो चुनाव जीते तो युद्ध रुकवा देंगे. अगर ऐसा हुआ तो भारत के लिए काफी बेहतर रहेगा. पीएम मोदी ने भी कई बार कहा है कि ये युद्ध का समय नहीं है. बता दें कि जो बाइडेन के दौरा के मुकाबले ट्रम्प दौर में भारत के अंदरूनी मामलों में कम दखल दी गई.