तमिलनाडु में बच्चों ने खेल-खेल में खोजा एलाम सिक्का, जानिए किस राजघराने से जुड़ा है इतिहास?
Elam coin in Tailnadu: एलाम सिक्का राजराजा चोल प्रथम के शासन काल में चलाया गया था. श्रीलंका में उनकी जीत के बाद वहां भी एलाम का ही प्रचलन था. सिक्के की नक्कासी बेहद खूबसूरती से की गई है. हेरिटेज क्लब की छात्राओं ने इसे तमिलनाडु में खोज निकाला है, जो 1000 साल से अधिक पुराना है.;
Elam coin in Tailnadu: तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में अपने घर के पास खेलते समय तीन सरकारी स्कूल की छात्राओं को 1,000 साल पुराना एलाम सिक्का खोज डाला, जिस पर राजराजा चोल (985-1012 ई.) का नाम खुदा हुआ है. सुरेश सुधा अझघन मेमोरियल गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में क्लास 8 के स्टूडेंट्स के मणिमेगालाई, एस दिव्यदर्शिनी और एस कनिष्कश्री हेरिटेज क्लब की सदस्य भी हैं.
हेरिटेज क्लब में एक्टिविटी के तौर पर उन्होंने प्राचीन सिक्कों , बर्तनों के टुकड़ों की पहचान करना और पत्थर के शिलालेखों के एस्टाम्पेज को पढ़ना सीखा है. एक सप्ताह पहले वह खेलते समय अपने घरों के पास एक गड्ढा खोद रहे थे. उन्हें खोदे गए गड्ढे में सिक्का मिला. हेरिटेज क्लब के सचिव और रामनाथपुरम पुरातत्व अनुसंधान फाउंडेशन के अध्यक्ष वी राजगुरु ने बाद में इसकी पुष्टि की.
कैसा है एलाम सिक्का
सिक्के के एक तरफ एक आदमी हाथ में फूल लिए खड़ा दिखाई देता है. उसके बाईं ओर चार सर्कल हैं. उसके ऊपर एक अर्धचंद्र है. दाईं ओर एक त्रिशूल और एक दीपक है. सिक्के के दूसरी तरफ एक आदमी हाथ में शंख लिए बैठा दिखाई देता है. उसके बाएं हाथ के पास देवनागरी लिपि में तीन पंक्तियों में 'श्रीराजराजा' नाम उकेरा गया है. सिक्के के किनारे घिसे हुए हैं.
हेरिटेज क्लब के राजगुरु ने कहा कि एलाम सिक्के राजराजा चोल प्रथम के श्रीलंका पर विजय की याद में सोने, चांदी और तांबे में जारी किए गए थे. लड़कियों को जो मिला वह तांबे का सिक्का है. एलाम सिक्के रामनाथपुरम जिले के तटीय क्षेत्रों जैसे पेरियापट्टिनम, थोंडी, कालीमनकुंडु और अलागनकुलम में पाए गए हैं.एलाम सिक्के श्रीलंका में उपयोग के लिए जारी किए गए थे और उन देशों में प्रचलन में थे, जहां चोल शासन करते थे.
तामिलनाडु में मनाई जाती है राजराजा चोल की जयंती
तमिलनाडु में अब हर साल 3 नवंबर को राजराजा चोल की जयंती मनाई जाती है. सीएम स्टालिन ने 2022 में इसकी घोषणा की थी. चोल साम्राज्य का उदय नौवीं शताब्दी में दक्षिण भारत में बहने वाली दो नदियों - पेन्ना और वेल्लार के बीच मैदानी इलाकों में हुआ था. राजराज चोल के बेटे राजेन्द्र चोल (1012-1044) गंगैकोंडचोलपुरम में आकर बसे थे, यहां उन्होंने भगवान शिव की उपासना के लिए बृहदेश्वर मंदिर के समान ही एक मंदिर बनवाया. इस साम्राज्य के सबसे प्रमुख राजाओं में राजराजा प्रथम और राजेंद्र चोल का नाम शामिल है.