प्लेबैक सिंगर Lucky Ali ने मांगी Javed Akhtar से माफी, कहा- मेरा इरादा ठेस पहुंचाने का नहीं था
कुछ समय बाद लकी अली ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया और स्पष्ट किया कि उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया था, और उनका किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था.;
हाल ही में, लोकप्रिय सिंगर और म्यूजिशियन लकी अली सोशल मीडिया पर सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर के बारे में अपनी एक प्रतिक्रिया के कारण विवाद खड़ा कर दिया था. इस विवाद ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया, और कई फैंस ने लकी अली की आलोचना की थी. मामला तब शुरू हुआ जब जावेद अख्तर का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इस वीडियो क्लिप में जावेद अख्तर कहते दिख रहे थे, 'शोले में एक सीन था जिसमें धर्मेंद्र शिव जी की मूर्ति के पीछे छिपकर बोलते हैं और हेमा मालिनी सोचती हैं कि शिव जी उनसे बात कर रहे हैं. क्या आज भी ऐसा सीन हो सकता है? नहीं, मैं आज ऐसा सीन नहीं लिखूंगा मैंने कहा था, 'मुसलमानों जैसे मत बनो उन्हें अपने जैसा बनाओ. तुम मुसलमानों जैसे बन रहे हो यह एक त्रासदी है.'
इस वीडियो के वायरल होने के बाद कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने अख्तर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी. इसी क्रम में लकी अली ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा, 'जावेद अख्तर की तरह मत बनो, कभी भी मूल और बदसूरत नहीं हो...'लकी अली के इस कथन ने इंटरनेट पर तुरंत ध्यान आकर्षित किया और यूजर्स में उनके शब्दों के चयन को लेकर बहस शुरू हो गई.
लकी अली ने माफी क्यों मांगी?
कुछ समय बाद लकी अली ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया और स्पष्ट किया कि उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया था, और उनका किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था. लकी अली ने लिखा, 'मेरा मतलब था कि अहंकार बदसूरत है... यह मेरी ओर से एक गलत कम्युनिकेशन्स था... राक्षसों की भी भावनाएं हो सकती हैं और अगर मैंने किसी की राक्षसीता को ठेस पहुंचाई है तो मैं माफी मांगता हूं.' उनकी यह पोस्ट इस बात का संकेत थी कि वह सप्ताह की शुरुआत में हुई विवादित टिप्पणी के बाद लोगों को समझाना चाहते थे कि उनका इरादा किसी की अपमान करने का नहीं था.
जावेद अख्तर कौन हैं?
जावेद अख्तर भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली गीतकार और स्क्रिप्टराइटर माने जाते हैं. उन्हें पांच नेशनल फ़िल्म अवार्ड और भारत के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री और पद्म भूषण से नवाजा गया है. सलीम खान के साथ मिलकर उन्होंने कई क्लासिक फ़िल्में लिखीं, जैसे- ज़ंजीर (1973), दीवार (1975), शोले (1975) एक गीतकार के रूप में, उन्होंने साज़, बॉर्डर, गॉडमदर, रिफ्यूजी और लगान जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे, जिनके लिए उन्हें नेशनल अवार्ड मिल चुके हैं.
लकी अली का म्यूजिक वर्ल्ड
लकी अली अपनी भावपूर्ण आवाज़ और एवरग्रीन म्यूजिक के लिए जाने जाते हैं. 1990 के दशक के अंत में, उन्होंने इंडी पॉप की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई. उनके कुछ चर्चित गाने हैं- ओ सनम, एक पल का जीना, ना तुम जानो ना हम, गोरी तेरी आंखें और तेरे मेरे साथ. लकी अली ने अपने कई एल्बमों में, जैसे सुनोह और सिफ़र, और बॉलीवुड फिल्मों के गानों में अपनी आवाज़ दी है, जिससे उन्हें प्लेबैक सिंगर के बीच भी एक अलग पहचान मिली.