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आरएसएस की स्थापना का उद्देश्य भारत के लिए है: सरसंघचालक मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा, "आरएसएस अपनी यात्रा के 100 वर्ष पूरे कर रहा है... आरएसएस का सार हमारी प्रार्थना की अंतिम पंक्ति में निहित है, जिसे हम प्रतिदिन कहते हैं, 'भारत माता की जय'. यह हमारा देश है और हमें इसकी प्रशंसा करनी चाहिए और इसे दुनिया में नंबर एक बनाने की दिशा में काम करना चाहिए... दुनिया करीब आ गई है, और इसलिए हमें वैश्विक स्तर पर सोचना होगा... स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था, "प्रत्येक राष्ट्र का एक मिशन होता है जिसे पूरा करना होता है"... भारत का भी अपना योगदान है. यदि किसी देश को नेता बनना है, तो उसे अपने लिए ऐसा नहीं करना चाहिए, बल्कि उसके नेतृत्व को विश्व व्यवस्था में एक आवश्यक नई गति लानी चाहिए... आरएसएस की स्थापना का उद्देश्य भारत के लिए है, इसका कार्य भारत के लिए है, और इसका महत्व भारत के 'विश्वगुरु' बनने में निहित है. विश्व में भारत के योगदान का समय आ गया है."