मेक्सिको के 50 फीसदी टैरिफ का भारत पर क्या होगा असर? सबसे ज्यादा प्रभावित होगा यह सेक्टर...
मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शाइनबाम की सरकार ने बुधवार को उन सभी देशों से आने वाले 1,400 से ज्यादा उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगाने का कानून पास कर दिया, जिनके साथ मेक्सिको का कोई मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं है. इसमें भारत और चीन सबसे बड़े प्रभावित देश हैं. नए नियम 2026 से लागू होंगे और कुछ वस्तुओं पर टैरिफ 50% तक हो सकता है.
मेक्सिको ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसका सीधा असर भारत समेत कई देशों पर पड़ने वाला है. बुधवार को मेक्सिको की सरकार ने घोषणा की कि साल 2026 से भारत, चीन और उन सभी देशों से आने वाली सैकड़ों चीजों पर भारी-भरकम आयात शुल्क (टैरिफ) लगा दिया जाएगा, जिनके साथ मेक्सिको का कोई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त व्यापार समझौता) नहीं है. मेक्सिको की नई राष्ट्रपति क्लाउडिया शाइनबाम ने कहा कि यह कदम अपने देश के कारखानों और नौकरियों को बचाने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि सस्ते विदेशी सामान से स्थानीय उद्योग को नुकसान न हो.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नए टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय कार निर्यातकों को होने वाला है. वजह साफ है मेक्सिको भारत का तीसरा सबसे बड़ा कार निर्यात बाजार है (पहले नंबर पर दक्षिण अफ्रीका और दूसरे पर सऊदी अरब हैं). मेक्सिको की संसद ने 1,400 से ज्यादा तरह के सामान पर नया टैरिफ पास कर दिया है. कुछ चीजों पर तो 50% तक टैरिफ लग सकता है. इससे भारत से मेक्सिको जाने वाली करीब 1.8 अरब डॉलर (लगभग 15,000 करोड़ रुपये) की कारें महंगी हो जाएंगी और वहां बिक्री कम हो सकती है.
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कौन-कौन सी भारतीय कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी?
स्कोडा-फॉक्सवैगन (भारत में स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया)
हुंडई (Hyundai)
निसान (Nissan)
मारुति-सुजुकी
इनमें भी स्कोडा का हिस्सा सबसे बड़ा है भारत से मेक्सिको जाने वाली आधी से ज्यादा कारें स्कोडा की ही होती हैं. कंपनी के भारत प्रमुख पीयूष अरोरा ने कहा था कि मेक्सिको में उनकी भारत में बनी गाड़ियों (जैसे कुशाक, स्लाविया) की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही थी. अब यह टैरिफ उस बढ़त पर ब्रेक लगा सकता है.
कारों के अलावा और कौन से भारतीय सामान प्रभावित होंगे?
2025 के आंकड़ों के अनुसार भारत से मेक्सिको को होने वाला कुल निर्यात में सबसे ऊपर थे ये सामान:
कारें और वाहन – 1.86 अरब डॉलर
इलेक्ट्रॉनिक सामान और बिजली के उपकरण – 61.2 करोड़ डॉलर
मशीनरी, बॉयलर, रिएक्टर वगैरह – 56 करोड़ डॉलर
ऑर्गेनिक केमिकल – 38.8 करोड़ डॉलर
एल्यूमिनियम और उसके प्रोडक्ट – 38.6 करोड़ डॉलर
दवाइयाँ और फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट – 21.1 करोड़ डॉलर
यानी सिर्फ कार ही नहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल, दवाइयां और मशीनरी बनाने वाली भारतीय कंपनियों को भी बड़ा नुकसान हो सकता है.
भारतीय उद्योग क्या कर रहा है?
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय कार कंपनियां और उद्योग संगठन पूरी कोशिश कर रहे हैं कि मेक्सिको सरकार इस टैरिफ को या तो रोके या कम से कम भारत को छूट दें. इसके लिए दिल्ली में अधिकारियों से लेकर मेक्सिको में भारतीय दूतावास तक लॉबिंग चल रही है. मेक्सिको का यह नया नियम भारतीय निर्यातकों, खासकर कार कंपनियों के लिए बहुत बड़ा झटका है. अगर यह टैरिफ 2026 में लागू हो गया और भारत-मेक्सिको के बीच कोई नया व्यापार समझौता नहीं हुआ, तो भारत का मेक्सिको को होने वाला अरबों डॉलर का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है.





