जाति जनगणना का मतलब है जनसंख्या की गणना करते वक्त लोगों की सामाजिक जातियों (Scheduled Castes, Scheduled Tribes, OBCs, अन्य सामान्य वर्ग आदि) का भी ब्यौरा लेना. यह सिर्फ आंकड़ों का हिसाब नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, संसाधनों के बराबर बंटवारे और प्रतिनिधित्व के लिए एक अहम कदम माना जाता है.
भारत में आखिरी बार 1931 में जाति आधारित जनगणना हुई थी. इसके बाद केवल SC-ST की गिनती होती रही, लेकिन OBC और अन्य वर्गों का कोई स्पष्ट डाटा नहीं है. यही वजह है कि आरक्षण नीति, सामाजिक योजनाओं और नीतिगत फैसलों के लिए जातिगत आंकड़ों की ज़रूरत बार-बार उठती रही है.
हाल ही में, केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर सैद्धांतिक सहमति दी है, जिससे देशभर में राजनीतिक हलचल मच गई है. इस फैसले को कई लोग सामाजिक सुधार का कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे चुनावी रणनीति भी बता रहे हैं.