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चुनाव दिल्ली में लेकिन दबदबा पूर्वांचलियों का! बिहार - यूपी वालों पर क्यों टिकी है सभी पार्टियों की नजर?

दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं, और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ी से बढ़ता जा रहा है. हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा यूपी-बिहार के लोगों पर दिए गए बयान ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. भाजपा ने इस बयान को तुरंत एक बड़ा मुद्दा बना लिया है

चुनाव दिल्ली में लेकिन दबदबा पूर्वांचलियों का! बिहार - यूपी वालों पर क्यों टिकी है सभी पार्टियों की नजर?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 13 Jan 2025 9:50 AM IST

दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं, और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ी से बढ़ता जा रहा है. हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा यूपी-बिहार के लोगों पर दिए गए बयान ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. भाजपा ने इस बयान को तुरंत एक बड़ा मुद्दा बना लिया है.

दिल्ली की राजनीति में पूर्वांचलियों का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है. लगभग 22% पूर्वांचली मतदाता हैं, जो 27 विधानसभा सीटों के चुनावी नतीजों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि पूर्वांचलियों के सम्मान और अधिकारों पर सियासी चर्चा जोर पकड़ रही है.

दिल्ली में कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या 25 से 38 फीसदी तक है. इसी वजह से सभी राजनीतिक दल पूर्वांचल समाज के लोगों को पार्टी में महत्वपूर्ण पद देने के साथ-साथ चुनावी टिकट देने में प्राथमिकता दे रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के लोगों को 12 सीटों पर टिकट दिए थे. इस बार भी पार्टी ने करीब 12 पूर्वांचली चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है, ताकि इस प्रभावशाली वर्ग का समर्थन हासिल किया जा सके.

साल 2013 की बात करें तो कांग्रेस ने पूर्वांचली मतदाताओं, ब्राह्मण और मुस्लिम समुदाय के बीच सोशल इंजीनियरिंग के जरिए दिल्ली की सत्ता पर 15 साल तक राज किया. 2025 में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी इन समुदायों पर सभी दलों की नजरें टिकी हुई हैं. इसी रणनीति के तहत, सभी राजनीतिक दल अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हुए हैं और टिकट वितरण में इन प्रभावशाली वर्गों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

दिल्ली चुनाव में पूर्वांचलियों का दबदबा!

पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से आए प्रवासी मतदाताओं के भरोसे ही वर्ष 2020 में JDU, RJD और लोजपा ने भी दिल्ली में अपने उम्मीदवार उतारे थे. लोजपा और जेडीयू ने जहां NDA गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा, वहीं RJD ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चार सीटों पर अपनी किस्मत आजमाई. हालांकि, दिल्ली चुनाव में इन दलों को मतदाताओं से अधिक समर्थन नहीं मिला. पिछला चुनाव मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सीधी टक्कर का गवाह बना था.

दिल्ली विधानसभा चुनाव
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