पाकिस्तान की SMASH मिसाइल का हाइपरसोनिक हाइप - क्या INS Vikrant अब निशाने पर? भारत के सामने पड़ोसी की तकनीक आज भी बौनी
पाकिस्तान ने जहाज़ से लॉन्च होने वाली हाइपरसोनिक बैलिस्टिक एंटी-शिप मिसाइल SMASH के परीक्षण को भारत के विमानवाहक पोत INS Vikrant के लिए खतरा बताया है. लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रचार वास्तविक सैन्य क्षमता से काफी दूर है. SMASH एक बैलिस्टिक मिसाइल है जो चलती समुद्री लक्ष्यों पर सटीक प्रहार करने में सक्षम नहीं होती, और इसे इंटरसेप्ट करना भी अपेक्षाकृत आसान है.
पाकिस्तान ने पिछले दिनों दावा किया है कि उसकी नौसेना ने पहली बार जहाज़ से लॉन्च होने वाली हाइपरसोनिक बैलिस्टिक एंटी-शिप मिसाइल SMASH का परीक्षण किया है, जिसे 700–850 किलोमीटर की दूरी से समुद्र में दुश्मन के युद्धपोत को निशाना बनाने में सक्षम बताया जा रहा है. पाकिस्तान के टेलीविज़न चैनलों और सोशल मीडिया पर इस परीक्षण को भारतीय विमानवाहक पोत INS विक्रांत के लिए “सीधा खतरा” बताकर बड़े पैमाने पर प्रचारित किया जा रहा है. लेकिन असली सवाल यह है - क्या यह दावा वास्तविक सैन्य खतरा है या फिर पाकिस्तान की मिसाइल तकनीक की कमियों को छुपाने के लिए रचा गया प्रचार युद्ध?
विशेषज्ञों के अनुसार, SMASH मिसाइल के परीक्षण को जितना बड़ा गेम-चेंजर बताया जा रहा है, वास्तविकता उससे काफी अलग है. यह परीक्षण पाकिस्तान की एंटी-शिप मिसाइल क्षमता में एक प्रयास तो माना जा सकता है, लेकिन इसे भारतीय नौसेना की शक्ति में बदलाव लाने वाला कदम कहना बिल्कुल अतिशयोक्ति है. सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि यह परीक्षण पाकिस्तान की क्रूज़ मिसाइल तकनीक की कमजोरी और भारतीय नौसेना की बढ़ती बढ़त के सामने उसकी हताशा को छिपाने की कोशिश ज्यादा प्रतीत होती है.
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पाकिस्तान के दावे का नहीं कोई सबूत
SMASH का टेस्ट टाइप 054A/P फ्रिगेट PNS Tippu Sultan से किया गया और पाकिस्तान दावा करता है कि मिसाइल हाइपरसोनिक गति Mach 8 (~9,800 km/h) पर अपने लक्ष्य को हिट करने में सफल रही. इसे दक्षिण एशिया की पहली जहाज़ से लॉन्च होने वाली ASBM क्षमता के रूप में पेश किया गया. लेकिन यह बात कम ही चर्चाओं में दिखाई देती है कि SMASH एक बैलिस्टिक मिसाइल है, क्रूज़ मिसाइल नहीं. यानी यह जहाज़ पर प्रहार करने के लिए अंतरिक्ष की ऊंचाई तक जाती है और फिर अत्यधिक गति से नीचे गिरती है. इस तरह की मिसाइलें समुद्र पर लगातार चल रहे युद्धपोत की वास्तविक टाइम-लोकेशन को ट्रैक करने में सक्षम नहीं होतीं. उनका अंतिम चरण में दिशा बदलने की क्षमता सीमित होती है, और नतीजतन चलती नौसेना के जहाज़ को समुद्र में सटीक रूप से निशाना बनाना बेहद कठिन काम है. दुनिया की कोई भी नौसेना सिर्फ बैलिस्टिक मिसाइल के दम पर समुद्री वर्चस्व हासिल नहीं कर पाई है.
क्या INS Vikrant को निशाना बना सकता है पाकिस्तानी SMASH?
पाकिस्तान के प्रचार में कहा जा रहा है कि SMASH, INS Vikrant को 700–850 किलोमीटर दूर से निशाना बनाने में सक्षम है, लेकिन यह दावा कई कारणों से वास्तविकता से बहुत दूर है. सबसे पहले, INS Vikrant कभी भी अकेला नहीं चलता - उसके साथ डिस्ट्रॉयर्स, फ्रिगेट्स, पनडुब्बियां और लड़ाकू विमान व हेलीकॉप्टर्स की पूरी सुरक्षा परत तैनात रहती है. बैलिस्टिक मिसाइल की ट्रैजेक्टरी अनुमानित होती है और इसी वजह से उसे इंटरसेप्ट करना अपेक्षाकृत आसान होता है. दूसरा, भारतीय नौसेना के पास Barak-8, SM-6 आधारित इंटरसेप्टर्स और AEW&C हवाई निगरानी जैसी अत्याधुनिक एंटी-बैलिस्टिक प्रणालियां पहले से मौजूद हैं, जो SMASH जैसी मिसाइलों के कथित खतरे को काफी हद तक बेअसर करती हैं. तीसरा, भारत पहले से ही अरब सागर में स्ट्राइक डॉमिनेंस रखता है - पाकिस्तान अपनी नौसेना को अरब सागर के बाहर निकालना भी चाहे तो भारत कराची और ग्वादर के समुद्री रास्तों को ब्लॉक करने की क्षमता रखता है. ऐसे में पाकिस्तान की हाइपरसोनिक मिसाइल के दावे वास्तविक नौसैनिक शक्ति संतुलन को नहीं बदलते.
Image Credit: X/@zspcl
BrahMos का पाकिस्तान के पास नहीं कोई तोड़
पाकिस्तान के SMASH प्रचार के पीछे एक और महत्वपूर्ण तथ्य छुपा हुआ है - पाकिस्तान के पास भारत की BrahMos जैसी एक भी सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल नहीं है. BrahMos Mach 2.8 (3,457 km/h) की गति से उड़ती है और उसके पास रैमजेट इंजन तकनीक है जबकि पाकिस्तान की बाबर क्रूज़ मिसाइल Mach 0.9 (880 km/h) की सबसोनिक गति से उड़ती है. बाबर की रेंज चाहे 750 किमी तक हो, लेकिन उसकी धीमी गति उसे आधुनिक नौसैनिक युद्ध में व्यावहारिक रूप से लगभग अप्रभावी बनाती है. यही कारण है कि पाकिस्तान BrahMos को मैच करने वाली मिसाइल नहीं बना पाया - उसके पास रैमजेट इंजन तकनीक, हाइपरसोनिक एयरफ्रेम सामग्री, एयरोस्पेस अनुसंधान–विकास आधारभूत ढांचा और थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम जैसे बुनियादी तत्व मौजूद ही नहीं हैं. इसी कमजोरी की भरपाई के लिए पाकिस्तान चीन की सहायता से सीधे हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक की ओर शॉर्टकट लेने की कोशिश कर रहा है - क्योंकि क्रूज़ मिसाइल तकनीक उसके पास है ही नहीं.
BrahMos और SMASH कुछ भी नहीं
अगर मैदान की सच्चाई की बात करें तो BrahMos और SMASH की तुलना ही दोनों देशों की नौसैनिक क्षमता का अंतर साफ कर देती है. BrahMos एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसका नियंत्रण अत्यंत उच्च स्तर का है और समुद्र में चलती नौसेना के जहाज़ पर बेहद सटीक प्रहार करती है. इसके विपरीत SMASH एक बैलिस्टिक मिसाइल है जिसका नियंत्रण सीमित है, समुद्री लक्ष्य पर उसकी सटीकता संदिग्ध मानी जाती है और पाकिस्तान ने उसका केवल एक ही परीक्षण वीडियो जारी किया है. सैन्य विशेषज्ञों के शब्दों में - “क्रूज़ मिसाइल समुद्र में दुश्मन के बेड़े को नियंत्रित करती है, जबकि बैलिस्टिक मिसाइल सिर्फ धमकाती है.”
भारतीय नौसेना के आगे पाकिस्तान अभी बच्चा है
समुद्री शक्ति के व्यापक संदर्भ में देखें तो आज भी शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में है. भारत के पास दो विमान वाहक (INS Vikramaditya और INS Vikrant) हैं जबकि पाकिस्तान के पास एक भी नहीं. भारत के पास परमाणु पनडुब्बियां हैं, पाकिस्तान के पास नहीं. भारत के पास सुपरसोनिक BrahMos है, पाकिस्तान के पास इसका मुकाबला करने वाली कोई मिसाइल नहीं. भारत BrahMos-II जैसी हाइपरसोनिक प्रणाली पर काम कर रहा है जबकि पाकिस्तान तकनीकी रूप से चीनी सहायता पर निर्भर है. नौसेना बजट की तुलना भी लगभग 4:1 के अनुपात में भारत को आगे रखती है. साफ है - SMASH जैसे परीक्षण भारतीय समुद्री वर्चस्व को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
बस प्रोपेगेंडा आधारित हथियार लग रहा SMASH
SMASH मिसाइल का परीक्षण पाकिस्तान के लिए तकनीकी उपलब्धि माना जा सकता है, लेकिन यह BrahMos का विकल्प नहीं है, यह INS Vikrant के लिए कोई गंभीर खतरा नहीं है और यह समुद्री शक्ति संतुलन को बदलने की क्षमता नहीं रखती. पाकिस्तान की मिसाइल तकनीक अभी भी चीन पर निर्भर, पिछड़ी और प्रचार केंद्रित है, जबकि भारत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल तकनीक, एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स और परमाणु शक्ति संपन्न ब्लू वाट blue-water navy क्षमता के साथ वास्तविक समुद्री प्रभुत्व रखता है. इसलिए SMASH फिलहाल एक “मनोवैज्ञानिक और प्रोपेगेंडा आधारित हथियार” के रूप में अधिक दिख रही है — और इसकी गूंज जितनी भी ज़ोरदार हो, भारतीय नौसेना की बढ़त पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है और आने वाले समय में भी पड़ने की संभावना नहीं है.





