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निजी डॉक्टरों को भी मिलेगा 50 लाख का PMGKY बीमा लाभ.... SC का बड़ा फैसला, कहा- देश COVID-19 के नायकों को नहीं भूल सकता

सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के दौरान ड्यूटी करते हुए जान गंवाने वाले निजी डॉक्टरों के परिजनों को भी PMGKY के 50 लाख रुपये बीमा कवर का हकदार माना है. कोर्ट ने कहा कि महामारी जैसी आपात स्थिति में निजी डॉक्टरों और अस्पतालों की सेवाएं भी कानूनन 'रीक्विज़िशन' मानी जाएंगी, चाहे उनके पास कोई व्यक्तिगत आदेश न हो. इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक डॉक्टर की पत्नी का दावा यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सेवाएं आधिकारिक रूप से रीक्विज़िशन नहीं थीं. सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय पलटते हुए कहा कि देश COVID-19 के नायकों को नहीं भूल सकता और तकनीकी आधार पर लाभ नहीं रोका जा सकता.

निजी डॉक्टरों को भी मिलेगा 50 लाख का PMGKY बीमा लाभ.... SC का बड़ा फैसला, कहा- देश COVID-19 के नायकों को नहीं भूल सकता
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( Image Source:  ANI )

Supreme Court on PMGKY Insurance Scheme Private Doctors Death: COVID-19 महामारी के दौरान ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले निजी डॉक्टरों के परिवारों को अब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के 50 लाख रुपये बीमा कवर का लाभ मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2025 को यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि निजी डॉक्टरों को 'रीक्विज़िशन' के नाम पर लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता, यदि यह साबित हो जाए कि उनकी मृत्यु COVID-19 ड्यूटी निभाते हुए हुई है. यह निर्णय जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने एक निजी डॉक्टर की पत्नी की याचिका पर सुनाया, जिसे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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डॉक्टर हमारे सबसे बड़े योद्धा थे: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के दिनों को याद करते हुए कहा कि COVID-19 ने वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था की कमज़ोरियों को उजागर कर दिया, लेकिन भारतीय डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने अडिग साहस और सेवा-भाव के साथ हालात का सामना किया. कोर्ट ने कहा, “देश महामारी की भयावह स्थिति और उन डॉक्टरों के साहस को कभी नहीं भूल सकता, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों की सेवा की.”

जानने योग्य प्रमुख बातें

  • 2020 की महामारी अभूतपूर्व वैश्विक संकट थी, जिसने मानव सभ्यता पर प्रथम विश्व युद्ध जैसी व्यापक चोट पहुंचाई.
  • WHO के अनुसार करोड़ों मौतों के बीच भारतीय डॉक्टरों ने भी भारी नुकसान झेला. IMA के मुताबिक पहली लहर में 748 डॉक्टरों की मौत हो गई, जबकि दूसरी लहर में 798 डॉक्टरों की जान गई.
  • PMGKY पैकेज के तहत निजी स्वास्थ्यकर्मियों को भी कवरेज मिलता है, यदि उनकी सेवाएं 'स्टेट द्वारा रीक्विज़िशन' की गई हों.
  • Epidemic Diseases Act, 1897 और 2020 के COVID Regulations के तहत कलेक्टर/म्यूनिसिपल कमिश्नर को निजी स्टाफ को भी रीक्विज़िशन करने का अधिकार था.
  • कोर्ट ने कहा कि महामारी के हालात में हर डॉक्टर का प्रयास सामूहिक रूप से 'रीक्विज़िशन' के दायरे में आता है, भले ही उनके पास कोई व्यक्तिगत आदेश पत्र न हो. इसलिए, 'नो-रिक्विज़िशन लेटर' का आधार लेकर बीमा दावा खारिज नहीं किया जा सकता.

पीड़ित डॉक्टर का मामला: क्यों उठा विवाद?

नवी मुंबई के डॉ. सुरगड़े, जो एक निजी क्लिनिक चलाते थे, को 2020 में लॉकडाउन के दौरान नगरपालिका आदेश के तहत क्लिनिक खुला रखने का निर्देश दिया गया था, जिसके उल्लंघन पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी. डॉ. सुरगड़े ने महामारी के बीच सेवा जारी रखी और उसी दौरान COVID-19 संक्रमण से उनकी मृत्यु हो गई. उनकी पत्नी ने PMGKY के तहत 50 लाख के बीमा की मांग की, लेकिन प्रशासन ने दावा खारिज कर दिया. तर्क दिया गया कि डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में थे, क्लिनिक COVID-डिज़िग्नेटेड सुविधा नहीं था और उनकी सेवाएं औपचारिक तौर पर 'रीक्विज़िशन' नहीं की गई थीं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इसी आधार पर दावा ठुकरा दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बदला हाई कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश आंशिक रूप से संशोधित करते हुए कहा कि महामारी जैसी स्थिति में व्यक्तिगत रीक्विज़िशन आदेश की आवश्यकता नहीं थी. COVID Regulations के तहत निजी डॉक्टरों की सेवाएं कानूनन रीक्विज़िशन मानी जाएंगी. PMGKY का उद्देश्य फ्रंटलाइन डॉक्टरों को सुरक्षा देना था. पब्लिक और प्राइवेट के बीच फ़र्क नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने कहा, “यह कहना गलत होगा कि कोई विशेष आदेश नहीं था, इसलिए सेवाएं रीक्विज़िशन नहीं मानी जा सकतीं. महामारी में हर डॉक्टर देश के लिए अग्रिम पंक्ति में था.”

फैसले का महत्व

यह निर्णय उन अनेक निजी डॉक्टरों के परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, जिनके दावों को केवल तकनीकी आधार पर खारिज किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि COVID-19 के दौरान निजी डॉक्टर भी उतने ही फ्रंटलाइन योद्धा थे, इसलिए वे भी बीमा लाभ के हकदार हैं.

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