पहलगाम हमले पर NIA ने दाखिल की चार्जशीट, आतंकी नेटवर्क के लोकल कनेक्शन का खुलासा; एजेंसी की चार्जशीट में क्या-क्या?
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जम्मू की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है. जांच में सामने आया है कि लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन आतंकी इस हमले में शामिल थे, जिन्हें बाद में ऑपरेशन महादेव में मार गिराया गया. चार्जशीट में स्थानीय लोगों द्वारा आतंकियों को पनाह, भोजन और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का खुलासा हुआ है. NIA के मुताबिक यह हमला संगठित आतंकी साजिश का हिस्सा था.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ी कानूनी कार्रवाई करते हुए करीब आठ महीने बाद जम्मू की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है. यह चार्जशीट न सिर्फ हमले में शामिल आतंकियों की पहचान को पुख्ता करती है, बल्कि कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क और उसकी स्थानीय सपोर्ट सिस्टम की पूरी परतें भी खोलती है.
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NIA सूत्रों के मुताबिक, यह हमला किसी एक दिन की साजिश नहीं था, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की एक सुनियोजित और व्यापक रणनीति का हिस्सा था. जांच एजेंसी का दावा है कि इस हमले के पीछे सीमा पार बैठे हैंडलर्स से लेकर स्थानीय मददगारों तक, एक पूरा आतंकी इकोसिस्टम काम कर रहा था.
ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीन आतंकी चार्जशीट में नामजद
NIA की चार्जशीट में उन तीन आतंकियों के नाम दर्ज किए गए हैं, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने काउंटर टेरर ऑपरेशन ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत मार गिराया था. इन आतंकियों की पहचान इस प्रकार हुई है-
सुलेमान शाह (उर्फ फैजल जट्ट / हाशिम मूसा)
हमजा (उर्फ हमजा अफगानी)
जिब्रान (उर्फ जिब्रान भाई)
जांच एजेंसी के अनुसार, ये तीनों आतंकी प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे और पहलगाम हमले को अंजाम देने के बाद जंगलों के रास्ते फरार हो गए थे.
स्थानीय मददगारों की भूमिका, पनाह से लेकर भोजन तक का इंतजाम
चार्जशीट में तीन स्थानीय आरोपियों- बशीर अहमद जोठर, परवेज अहमद जोठर और मोहम्मद यूसुफ कटारी—को भी नामजद किया गया है. NIA की जांच में सामने आया है कि इन लोगों ने हमले से ठीक एक दिन पहले आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट, अस्थायी पनाह और भोजन उपलब्ध कराया था. रिपोर्ट के मुताबिक, बशीर और परवेज जोठर स्थानीय निवासी हैं और इन्होंने 21 अप्रैल की रात आतंकियों को हिल पार्क इलाके के एक ढोक (झोपड़ी) में ठहराया था. दोनों भाइयों को 22 जून को गिरफ्तार किया गया था.
फोन रिकॉर्ड से पाकिस्तान कनेक्शन का खुलासा
NIA के अनुसार, जोठर भाइयों के मोबाइल फोन से कई पाकिस्तानी नंबर बरामद हुए हैं. पूछताछ के दौरान इन दोनों ने स्वीकार किया कि जिन तीन आतंकियों को उन्होंने शरण दी थी, वे पाकिस्तान के नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे. जांच एजेंसी का कहना है कि इन स्थानीय मददगारों ने आतंकियों को जंगलों के रास्तों, सुरक्षित ठिकानों और सुरक्षा बलों की मूवमेंट से जुड़ी अहम जानकारियां दीं, जिससे वे लंबे समय तक गिरफ्त से बचे रहे.
साजिद जट्ट भी चार्जशीट में शामिल, सीमा पार से करता था समन्वय
चार्जशीट में एक अन्य आरोपी साजिद जट्ट का नाम भी शामिल है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय ऑपरेटिव बताया गया है. NIA के मुताबिक, साजिद जट्ट सीमा पार बैठे आतंकवादी हैंडलर्स के निर्देश पर काम कर रहा था और पूरे मॉड्यूल का समन्वय कर रहा था. उसकी भूमिका आतंकियों और उनके हैंडलर्स के बीच संपर्क बनाए रखने, ऑपरेशनल सपोर्ट सुनिश्चित करने और स्थानीय नेटवर्क को सक्रिय रखने की थी.
डिजिटल फॉरेंसिक से साजिश की कड़ियां जुड़ीं
NIA ने इस केस में डिजिटल फॉरेंसिक, कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR), इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ और मौके से मिले सबूतों के आधार पर आतंकी साजिश को स्थापित किया है. एजेंसी का कहना है कि इन तकनीकी सबूतों से यह साफ हो गया है कि पहलगाम हमला एक संगठित आतंकी योजना का हिस्सा था. चार्जशीट में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम- UAPA की सख्त धाराएं लगाई गई हैं. इसके साथ ही आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके प्रॉक्सी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. NIA का मानना है कि यह चार्जशीट भविष्य में आतंक से जुड़े मामलों की सुनवाई और सजा सुनिश्चित करने में एक मजबूत कानूनी आधार बनेगी.
ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले का सैन्य जवाब
गौरतलब है कि पहलगाम हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे. इस जवाबी कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया था. इस अभियान के तहत लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालयों, ट्रेनिंग कैंप्स समेत नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था, जहां से भारत के खिलाफ हमलों की साजिश रची जा रही थी.
NIA का दावा: आतंकी इकोसिस्टम की पूरी तस्वीर सामने
अधिकारियों के मुताबिक, ऑपरेशन महादेव ने सिर्फ हमलावरों को खत्म नहीं किया, बल्कि कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा रखने वाले पूरे नेटवर्क- सीमा पार हैंडलर्स से लेकर स्थानीय मददगारों- को भी बेनकाब कर दिया है. NIA का मानना है कि यह चार्जशीट आतंक के खिलाफ भारत की कानूनी और रणनीतिक लड़ाई को और मजबूत करेगी.





