'20 की उम्र में शादी करो और बच्चे पैदा करो', Zoho फाउंडर की सलाह पर सोशल में मचा बवाल! यूजर्स बोले- EMI भरेगा कौन?
Zoho के को-फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने युवाओं को सलाह दी कि वे 20s में ही शादी कर लें और बच्चे पैदा करें. उन्होंने कहा कि यह समाज और पूर्वजों के प्रति “डेमोग्राफिक ड्यूटी” है. लेकिन उनकी यह सलाह सोशल मीडिया पर भारी विवाद का कारण बन गई. कई यूजर्स ने आर्थिक दबाव, महंगी लाइफस्टाइल, अस्थिर जॉब और बढ़ते किराए का मुद्दा उठाते हुए पूछा-“EMI भरेगा कौन?”
ज़ोहो के सह-संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने बुधवार को सोशल मीडिया पर एक ऐसा बयान दिया, जिसने युवा उद्यमियों, महिलाओं, पेशेवरों और आम लोगों के बीच एक बड़ा विमर्श खड़ा कर दिया. वेम्बू ने युवाओं- खासतौर पर उद्यमियों- को सलाह दी कि वे अपनी 20s में शादी करें और बच्चे पैदा करें. उनका कहना है कि ऐसा करना न सिर्फ समाज के लिए ‘डेमोग्राफिक ड्यूटी’ है, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति एक जिम्मेदारी भी है.
उनकी यह राय सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई. कुछ लोगों ने इसे ‘पुराना और एकपक्षीय नजरिया’ बताया, तो कईयों ने इसे ‘स्टेबल और बैलेंस्ड जिंदगी की दिशा’ कहा. वेम्बू की पोस्ट तब आई, जब वे उद्यमी और अपोलो हॉस्पिटल्स की CSR वाइस चेयरपर्सन उपासना कोनिडेला (राम चरण की पत्नी) की एक पोस्ट को रीशेयर कर रहे थे, जिसमें उन्होंने IIT हैदराबाद में छात्रों की शादी और करियर प्राथमिकताओं पर चर्चा की थी.
वेम्बू ने क्या कहा?
वेम्बू ने X पर लिखा कि मैं युवा उद्यमियों को-चाहे पुरुष हों या महिलाएं-सलाह देता हूं कि वे अपनी 20s में शादी करें और बच्चे पैदा करें. इसे यूं ही टालते न रहें. यह समाज और अपने पूर्वजों के प्रति डेमोग्राफिक ड्यूटी है… मुझे पता है यह सोच पुरानी लग सकती है, लेकिन मुझे विश्वास है कि यह दोबारा प्रासंगिक होगी.”
IIT हैदराबाद में उपासना का अनुभव
उपासना कोनिडेला ने बताया कि जब उन्होंने छात्रों से पूछा- “आपमें से कितने शादी करना चाहते हैं?”- तो पुरुष छात्रों ने महिलाओं की तुलना में ज्यादा हाथ उठाए! उन्होंने कहा यह भारत के नए ‘प्रोग्रेसिव माइंडसेट’ की झलक है, जहां महिलाएं अब पहले से कहीं ज्यादा करियर-फोकस्ड हैं.
सोशल मीडिया पर दो धड़ों में बंट गई बहस
वेम्बू की पोस्ट पर इंटरनेट दो हिस्सों में बंट गया. 'पहले अर्थव्यवस्था ठीक करो, फिर शादी-बच्चे की सलाह देना', कई यूज़र्स ने कहा कि असली समस्या ‘डेमोग्राफिक नहीं, इकोनॉमिक’ है. एक यूज़र ने लिखा कि आज के युवा कमिटमेंट से नहीं डरते… वे डरते हैं 40% किराया, अस्थिर नौकरी और जीरो वर्क-लाइफ बैलेंस में परिवार चलाने से. दूसरे ने लिखा कि कुछ लोग 28 तक तीन बच्चे कर लेते हैं, फिर तलाक, आर्थिक संकट और करियर पीछे छूट जाता है… इसका जवाब क्या है? एक महिला यूज़र ने कहा कि कौन मेरी करियर ब्रेक की भरपाई करेगा? 20s में बच्चे चाहती हूं… लेकिन बस यही मेरी लाइफ का मकसद नहीं है.”
'परिवार एंकर है, डिस्ट्रैक्शन नहीं'-समर्थकों की दलील
कुछ उद्यमियों ने वेम्बू का समर्थन भी किया. एक ट्वीट में लिखा गया कि मैं दो बच्चों का पिता हूं… परिवार डिस्ट्रैक्शन नहीं, जिंदगी का एंकर है. दूसरे ने भारत की गिरती प्रजनन दर का हवाला दिया. भारत की TFR सिर्फ 1.9 है… 20s शादी-बच्चों का बेस्ट बायोलॉजिकल टाइम है. यह राष्ट्रीय कर्तव्य भी है और पर्सनल फायदा भी.”
मुद्दा क्या है- डेमोग्राफी या इकॉनमी?
वेम्बू की सलाह ने उस बड़ी बहस को सामने ला दिया है, जो भारत की युवा पीढ़ी आज झेल रही है-
• शादी या करियर?
• स्थिर भविष्य या बायोलॉजिकल टाइमिंग?
• आर्थिक सुरक्षा या सामाजिक जिम्मेदारी?
भारत का 'न्यू इंडिया' किस दिशा में जाएगा- यह बहस फिलहाल थमने वाली नहीं.





