ईरान ने टेके घुटने! हिजाब के विरोध में अंडरवियर में घूमने वाली महिला को किया रिहा, चार्ज भी नहीं लगाया

Ahoo Dayaei: ईरान से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. ईरानी अधिकारियों ने कहा है कि तेहरान की एक यूनिवर्सिटी में हिजाब विरोधी प्रदर्शन के दौरान हिरासत में ली गई महिला को रिहा कर दिया गया है. उसके ऊपर कोई चार्ज भी नहीं लगाया गया है.;

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Ahoo Dayaei: ईरान और इजरायल के बीच तनाव जारी है. इस बीच वहां से एक बड़ी खबर सामने आई है. राजधानी तेहरानी की एक यूनिवर्सिटी में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन करने वाली महिला को रिहा कर दिया गया है. उसके ऊपर कोई चार्ज नहीं लगाया गया है. यह जानकारी ईरानी अधिकारियों ने दी है.

इससे पहले नवंबर में, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था. इसमें एक महिला, जिसका नाम बीबीसी फारसी ने आहू दरयाई बताया था, को जबरन हिरासत में लेने से पहले विश्वविद्यालय परिसर में उसके कपड़े उतार दिए गए थे.

महिला को परिवार के पास भेजा गया

ईरानी न्यायपालिका के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने मंगलवार को कहा कि महिला का अस्पताल में इलाज किया गया है. उसे उसके परिवार के पास वापस भेज दिया गया है। महिला की गिरफ्तारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की.

सुरक्षा एजेंटों के साथ हुआ था विवाद

एक छात्र आंदोलन संगठन ने सबसे पहले गिरफ्तारी का वीडियो प्रकाशित किया था. इसमें बताया गया था कि दरयाई का सुरक्षा एजेंटों के साथ सिर पर स्कार्फ न पहनने को लेकर विवाद हुआ था, जिसके कारण हाथापाई के दौरान उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए थे. उस समय ईरानी अधिकारियों ने कहा था कि दरयाई बीमार है. उसे मनोरोग वार्ड में ले जाया गया था.

दरयाई की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर ईरानी कार्यकर्ताओं ने इसकी निंदा की और कहा कि यह महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव का एक तरीका है।

महिलाओं को मानसिक रूप से बीमार घोषित करने का बनाया जाता है दबाव

यह पहली बार नहीं है जब ईरानी अधिकारियों ने अनिवार्य हिजाब कानून का विरोध करने वाली एक महिला को मानसिक बीमारी से ग्रस्त बताया है. एक विरोध प्रदर्शन के दौरान अपना हिजाब हटाने के लिए तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद 2018 में ईरान से भागकर कनाडा पहुंची एक महिला आजम जंगरावी ने कहा कि ईरानी शासन ने उसके परिवार पर उसे मानसिक रूप से बीमार घोषित करने का दबाव डाला था, लेकिन मेरे परिवार ने ऐसा नहीं किया.

जंगरावी ने बताया कि दबाव में कई परिवार महिलाओं या लड़कियों को मानसिक रूप से बीमार घोषित कर देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी रक्षा करने का यही सबसे अच्छा तरीका है. इस तरह से महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जाती है.

1979 में इस्लामी क्रांति के बाद बाल ढकना हुआ अनिवार्य

बीबीसी के मुताबिक, 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में महिलाओं के लिए बाल ढकना और शालीन कपड़े पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. दो साल पहले, कुर्द महिला महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. अमिनी को ठीक से हिजाब नहीं पहनने के कारण हिरासत में लिया गया था. उनकी मौत के बाद कई महीनों तक चले देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर 500 से अधिक लोग मारे गए.

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