वंदे मातरम् (Vande Mataram) सिर्फ एक राष्ट्रगीत नहीं - आज के दौर में यह एक राजनीतिक तीर बन चुका है, जो सीधे धर्म, पहचान और राष्ट्रवाद की बहस को चीरता हुआ निकल रहा है. संसद (Parliament) से लेकर सड़क तक, टीवी डिबेट से लेकर सोशल मीडिया की टाइमलाइन तक, एक ही सवाल तूफ़ान की तरह गूंज रहा है: क्या वंदे मातरम् बोलना राष्ट्रभक्ति की कसौटी है या राजनीतिक मजबूरी? इसी सवाल पर भारतीय राजनीति के बड़े चेहरे - असदुद्दीन ओवैसी, इकरा हसन, मौलाना मदनी जैसे नेताओं ने संसद में अपनी बात रखी जिसकी चर्चा हो रही है.