कौन मार रहा मगरमच्छ को? 6 दिन में चार रहस्यमयी मौत का क्या है राज!
चंद्रलोई नदी में पिछले छह दिनों में चार मगरमच्छों की मौत हुई है. 2022 में चंद्रलोई नदी में 50 मगरमच्छों की मौतें हुई थीं. तब से लेकर अब तक स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ. इस बार पशु अधिकार कार्यकर्ता और पर्यावरण विशेषज्ञ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.;
कोटा की चंद्रलोई नदी पिछले छह दिनों में चार मगरमच्छों की मौतों का गवाह बनी है. इन मृत मगरमच्छों की लंबाई छह से सात फीट के बीच थी. विशेषज्ञों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि इन मौतों की मेन वजह नदी में बहने वाला इंडस्ट्रियलिस्ट वेस्ट हो सकता है. यह वही क्षेत्र है जहां 2022 में 50 मगरमच्छों की मौत हुई थी.
मगरमच्छ इंडियन वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की अनुसूची 1-सी के तहत प्रोटेक्टेड हैं. इसका मतलब है कि उन्हें सबसे ज्यादा प्रोटेक्शन दी गई है. बावजूद इसके, चंद्रलोई नदी में उनकी लगातार हो रही मौतें चिंताजनक हैं.
घटनाओं का सिलसिला: छह दिनों में चार मौतें
30 नवंबर को 60 साल का मगरमच्छ मृत पाया गया. 1, 2 और 4 दिसंबर: 9, 4 और 15 साल की उम्र के तीन और मगरमच्छ अलग-अलग जगहों पर मृत पाए गए. इनमें से तीन मगरमच्छ पहली घटना के स्थान से लगभग 10 किलोमीटर दूर पाए गए.
मौत का कारण क्या हो सकता है?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखते हुए डॉ. अखिलेश कुमार पांडे, जिन्होंने पहले और चौथे मगरमच्छ का पोस्टमार्टम किया, का कहना है कि पहले मगरमच्छ की मौत अंगों के फेल होने के कारण हुई. चौथे मगरमच्छ की मौत का कारण किडनी फेलियर था. ये दोनों स्थितियां नदी के पानी में मौजूद जहरीले तत्वों की वजह से हो सकती हैं. सटीक कारण लेबोरेटरी टेस्ट के बाद साफ होगा.
पर्यावरण एक्सपर्ट की चिंता
पर्यावरण वकील तपेश्वर सिंह ने कहा कि सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता ने इस समस्या को गंभीर बना दिया है. उन्होंने बताया कि इंडस्ट्रियलिस्ट वेस्ट के कारण नदी का पानी लंबे समय से जहरीला हो रहा है, लेकिन इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए.
2022 में चंद्रलोई नदी में 50 मगरमच्छों की मौतें हुई थीं. तब से लेकर अब तक स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ. इस बार पशु अधिकार कार्यकर्ता और पर्यावरण विशेषज्ञ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इंडस्ट्रियलिस्ट वेस्ट पर कंट्रोल, जल प्रदूषण के लिए दोषी इंडस्ट्रियलिस्ट पर कड़ी कार्रवाई और नदी के पानी की नियमित जांच और स्वच्छता सुनिश्चित करना.
क्या कहता है प्रशासन?
कोटा के मुख्य वन संरक्षक, रामकर्ण खैरवा ने कहा कि मौतों के कारणों की जांच की जा रही है. इंडस्ट्रियलिस्ट कचरा संभावित कारण हो सकता है. पानी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.