कभी वाजपेयी के चहेते कहे जाने वाले आशीम कुमार घोष कौन? अब हरियाणा के 19वें राज्यपाल के रूप में ली शपथ
राजनीतिक विचारक और शिक्षाविद् आशीम कुमार घोष ने चंडीगढ़ स्थित राजभवन में हरियाणा के 19वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली. 81 वर्षीय घोष को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने शपथ दिलाई. पूर्व में भाजपा के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष रह चुके घोष को वाजपेयी का चहेता भी माना जाता था. दो दशक से सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बावजूद वे पार्टी के वैचारिक स्तंभ माने जाते हैं. यह नियुक्ति भाजपा की वरिष्ठों को सम्मान देने की नीति मानी जा रही है.;
Who is Ashim Kumar Ghosh: चंडीगढ़ स्थित राजभवन में सोमवार को एक गरिमामय समारोह में शिक्षाविद् और राजनीतिक विचारक आशीम कुमार घोष ने हरियाणा के 19वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली. 81 वर्षीय घोष को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. वह बंडारू दत्तात्रेय का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ.
शपथ ग्रहण समारोह में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और राज्य भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली समेत कई गणमान्य नेता और अधिकारी उपस्थित रहे. घोष की नियुक्ति को भाजपा में पुराने, वैचारिक रूप से समर्पित नेताओं के प्रति सम्मान के रूप में देखा जा रहा है.
बंगाल भाजपा के वैचारिक स्तंभ रहे हैं घोष
राजनीतिक विज्ञान में प्रशिक्षित और कोलकाता के एक कॉलेज में पूर्व प्रोफेसर रह चुके आशीम कुमार घोष को भाजपा के वैचारिक और अनुशासित नेतृत्व के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है. उनके भाषणों की गूंज और स्पष्ट विचारधारा उन्हें पार्टी के अन्य नेताओं से अलग बनाती रही है.
दो दशक पहले राजनीति से ली थी दूरी
हालांकि, घोष ने सक्रिय राजनीति को लगभग बीस साल पहले अलविदा कह दिया था, लेकिन पार्टी के भीतर उनकी भूमिका अब भी महत्वपूर्ण और सम्माननीय रही. वे बौद्धिक विमर्शों में भाग लेते रहे और पार्टी की नीतिगत दिशा को लेकर सुझाव देते रहे.
भाजपा के बंगाल विस्तार में निभाई अहम भूमिका
आशीम घोष ने 1999 से 2002 तक भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. यह दौर पार्टी के लिए राज्य में संगठनात्मक मजबूती और धीरे-धीरे जनसमर्थन बढ़ाने का था. घोष के नेतृत्व में भाजपा ने बंगाल में अपनी जड़ें जमानी शुरू की थीं.
राज्यपाल पद पर नियुक्ति का बड़ा संदेश
घोष को राज्यपाल बनाए जाने को राजनीतिक विश्लेषक भाजपा की उस नीति के रूप में देख रहे हैं, जिसमें पार्टी अपने पुराने, समर्पित नेताओं को संवैधानिक पदों पर नियुक्त कर उनका सम्मान करती है. इससे भाजपा के मूल विचार और आधारभूत संगठन निर्माण में लगे नेताओं का मनोबल भी बढ़ता है.