हरियाणा में कोटे में कोटा पर क्या छिड़ेगा संग्राम? सैनी कैबिनेट के फैसले पर मायावती को एतराज
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी कोटे के अंदर कोटे के आदेश के बाद हरियाणा सरकार में इसे लागू करने का फैसला लिया गया है. राज्य सरकार के इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सवाल खड़े किए हैं. मायावती ने बीजेपी पर दलितों को बांटकर लड़वाने का आरोप लगाया है.;
हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शुक्रवार को एक बार फिर से CM पद का कार्यभार संभालने के बाद पहली कैबिनेट बैठक की. इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. विपक्ष अकसर आरक्षण को लेकर सरकार को घेरता आ रहा है. इस कैबिनेट बैठक में आरक्षण को लेकर भी बड़ा फैसला लिया गया है. बता दें कि CM नायब सैनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अनुसूचित जाति के आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का फैसला लिया गया है.
सरल भाषा में कहा जाए तो सरकार ने कोटे के अंदर कोटा आरक्षित करने का फैसला किया है. वहीं अब कैबिनेट के इस फैसले के बाद विपक्ष BJP (हरियाणा) पर हमलावर है. लगातार तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. हरियाणा सरकार के इस फैसले पर BSP सुप्रीमो मायावती ने भी निशाना साधा है. मायावती ने कहा कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षड्यंत्र में लगी है.
उधर कांग्रेस ने सैनी सरकार के इस फैसले की तारीफ की है और बधाई दी है.
आपस में लड़वाने का षड्यंत्र
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा पर दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने को लेकर षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है. बीजेपी के इस फैसले को उन्होंने घोर आरक्षण विरोधी निर्णय बताया है. इसी क्रम में मयाावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड्यंत्र. यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है.
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षडयंत्र में लगी है, जो घोर अनुचित व बीएसपी इसकी घोर विरोधी है. वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ’फूट डालो-राज करो’ व इनके आरक्षण विरोधी षड़यंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बीएसपी है. इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा.
कोटा में कोटा क्या है?
कोटे के अंदर कोटे की अगर बात की जाए तो बता दें कि जारी किए गए प्रतिशत के अंदर एक अलग से आरक्षण की व्यवस्था लागू किया गया था. इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि आरक्षण का लाभ उस समाज तक और जरूरतमंद समूह तक भी पहुंचे जो आरक्षण के लाभ से वंच्छित रह जाते हैं. बड़े समूह के अंदर ही छोटे वर्ग के अधिकार को सुनिश्चित करना उद्देश्य है. ताकी इससे आरक्षण का लाभ उन तक पहुंच सके. उदहारण के तौर पर SC और ST के अंदर आने वाले समूह को मिलने वाले आरक्षण के अंदर लागू होने आरक्षण को समूहों को दिया जा सकता है. ताकि उन समूहों को ज्यादा प्रतिनिधित्व और लाभ मिल सके जो सामाजिक या आर्थिक रूप से ज्यादा वंचित हैं. लेकिन अब इस पर कांग्रेस समेत कई दल सवाल उठा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था फैसला
साल 2024 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने SC और ST जारी के फैसले पर अनुमति दी थी. इस आदेश के बाद अनुसूचित जातियों के अंदर अधिक पिछड़े वर्ग के लिए अलग से कोटा प्रदान करने का फैसला लिया गया था.