ये गैंगस्टर कुत्ते की तरह मारे जाते हैं.... बदमाशों पर खुलकर बरसे हरियाणा के DGP, खुली चुनौती देते हुए कहा- मां का दूध पिया है तो भारत आओ
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने बुधवार को रोहतक में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गैंगस्टर्स पर ऐसा प्रहार किया, जिसने सबका ध्यान खींच लिया, उन्होंने विदेशों में बैठे अपराधियों को ‘लोमड़ी’, ‘सियार’, ‘गीदड़’ और ‘बिच्छू’ जैसे जानवरों से तुलना करते हुए कहा कि ये खुद को गैंगस्टर कहते हैं, लेकिन असल में डरपोक हैं.;
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह बुधवार को रोहतक पहुंचे थे. एसपी ऑफिस के सभागार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने हरियाणा में गैंगस्टर्स, ड्रग्स और पुलिस सिस्टम पर खुलकर बात की. उन्होंने विदेश में छिपे बदमाशों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि ये खुद को गैंगस्टर कहते हैं, लेकिन असल में गीदड़ और कायर हैं.
इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि 'मां का दूध पिया है तो भारत आओ'. ओपी सिंह का यह बयान साफ मैसेज देता है कि हरियाणा पुलिस अब किसी अपराधी से डरने या झुकने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि जो अपराधी खुद को ताकतवर समझते हैं, वे असल में डर के मारे विदेशों में छिपे बैठे हैं.
गैंगस्टर नहीं, गीदड़ हैं ये लोग
सिंह ने विदेशों में छिपे गैंगस्टर्स पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ये लोग शेर नहीं, बल्कि गीदड़, सियार और लोमड़ी जैसे हैं जो भागते रहते हैं और कुत्ते की तरह मारे जाते हैं. देश में डर फैलाने की कोशिश करते हैं, जबकि असल में खुद डर कर विदेशों में छिपे बैठे हैं.
मां का दूध पिया है, तो भारत आओ
डीजीपी ने बदमाशों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि 'अगर मां का दूध पिया है तो सामने आकर दिखाओ.' उन्होंने कहा कि ये विदेश में इसलिए हैं क्योंकि भारत में आकर टिकने की हिम्मत नहीं रखते. साथ ही, उन्होंने याद दिलाया कि अब अपराधियों को यह समझ लेना चाहिए कि हरियाणा पुलिस किसी से डरने वाली नहीं है. हाल ही में स्विट्जरलैंड से एक कुख्यात बदमाश को लाया गया और उसकी हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कानून के हाथ कितने लंबे हैं.
पुलिसकर्मियों की फिटनेस पर बोले डीजीपी
जब पत्रकारों ने पुलिसकर्मियों की फिटनेस पर सवाल किया, तो ओपी सिंह मुस्कराते हुए बोले कि फिटनेस दरअसल एक व्यक्तिगत मामला है. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि अगर कोई पुलिसकर्मी वर्दी में इस तरह नजर आए कि उसका पेट बाहर निकला हो, तो वह अच्छा प्रभाव नहीं छोड़ता. उनका कहना था कि पुलिस की वर्दी सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि अनुशासन और गरिमा का प्रतीक है, इसलिए उसमें हमेशा सम्मान और सख्ती दोनों झलकनी चाहिए.