‘जा के अपने बाप के साथ ऑटो चला’, ट्रोल्स ने तोड़ा, धोनी ने संभाला... एक ताने ने मोहम्मद सिराज को बना दिया भारत का तूफ़ान

हैदराबाद के मोहम्मद सिराज की कहानी संघर्ष और आत्मविश्वास की मिसाल है. एक वक्त था जब आईपीएल में खराब प्रदर्शन के बाद ट्रोल्स ने उन्हें कहा - “जा के अपने बाप के साथ ऑटो चला.” लेकिन सिराज ने इन तानों को अपनी ताकत बना लिया. महेंद्र सिंह धोनी की सलाह - “जब अच्छा करेगा तो दुनिया साथ होगी, बुरा करेगा तो यही गालियां देगी” - उनकी जिंदगी का मंत्र बन गई. आज वही ऑटो चालक का बेटा टीम इंडिया का तेज़तर्रार गेंदबाज़ बन चुका है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 7 Oct 2025 9:32 AM IST

कभी-कभी ज़िंदगी की सबसे गहरी चोटें हमें सबसे मजबूत बना देती हैं. हैदराबाद की गलियों से निकला एक साधारण सा लड़का - मोहम्मद सिराज - आज टीम इंडिया का स्टार पेसर है. लेकिन उसके पीछे छिपी कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि संघर्ष, तानों और आत्मविश्वास की भी है. वह लड़का, जिसके पिता ऑटो चलाते थे और जो खुद कभी लेदर बॉल से नहीं खेला था, आज भारतीय क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद गेंदबाजों में गिना जाता है.

सिराज ने हाल ही में इंडियन एक्‍सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उस दौर को याद किया, जब आईपीएल में उनके खराब प्रदर्शन के बाद लोगों ने उन्हें बेरहमी से ट्रोल किया. सोशल मीडिया पर उन्हें लिखा गया - “जा के अपने बाप के साथ ऑटो चला.” यह वही शब्द थे, जो उनके दिल में तीर की तरह चुभ गए.

पर उसी वक्त उन्हें याद आए अपने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के वो शब्द, जो सालों पहले उन्होंने टीम इंडिया में डेब्यू करते वक्त कहे थे - “किसी की बातों में मत आना. जब अच्छा करेगा तो यही दुनिया तेरे साथ रहेगी, और जब बुरा करेगा तो यही दुनिया तुझे गालियां देगी.”

धोनी की ये सीख, सिराज के लिए किसी कवच से कम नहीं थी. उन्होंने तय कर लिया कि अब बाहरी तालियों या तानों से फर्क नहीं पड़ेगा. सिराज ने कहा, “अब मेरे लिए बस मेरी टीम और मेरा परिवार ही मायने रखता है.”

ग़रीबी से गुज़रता हुआ एक सपना

मोहम्मद सिराज का जन्म हैदराबाद के एक बेहद साधारण परिवार में हुआ. उनके पिता ऑटो-रिक्शा चलाते थे और मां घरों में काम करके परिवार चलाती थीं. सिराज कहते हैं, “सच कहूं तो मैंने कभी इंडिया के लिए खेलने का सपना नहीं देखा था. घर में पैसे नहीं थे. जो थोड़ा बहुत टेनिस-बॉल क्रिकेट से कमाता था, वही मां-बाप को दे देता था.” उन दिनों उनके पास न सही जूते थे, न किट बैग, और न ही मौका. मगर इच्छा थी - गेंद को तेज़ी से फेंकने की, हर बार बल्लेबाज़ को चौंकाने की. उनका पहला मौका तब आया जब उन्होंने जिला स्तर पर एक मैच खेला - वो भी बिना लेदर बॉल से खेले. वहां उनकी रफ्तार ने सबको चौंका दिया. चारमीनार क्रिकेट क्‍लब के मालिक ने उन्हें खेलते देखा और तुरंत बुलाया.

जब सिराज ने बताया कि आर्थिक हालत ठीक नहीं, तो जवाब मिला, “टेंशन मत ले बेटा, सब हम देंगे.” वह दिन सिराज की ज़िंदगी का पहला मोड़ था. पहली बार उन्होंने स्पाइक्स पहने, और पहली बार महसूस किया कि सपनों के लिए पंख मिल चुके हैं.

विराट और राहुल के सामने गेंदबाज़ी

जल्द ही उनकी रफ्तार की चर्चा फैलने लगी. सिराज को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच एक मैच से पहले नेट बॉलर बनने का मौका मिला. वहां उन्होंने विराट कोहली और केएल राहुल को गेंदबाज़ी की - और वहीं उन्हें देखा भारत के कोच भरत अरुण ने. लेकिन किस्मत ने फिर परीक्षा ली. अगला सीज़न आया, और सिराज को रणजी टीम से बाहर कर दिया गया. वे टूटने के कगार पर थे. पर तभी भरत अरुण, जो उस वक्त हैदराबाद टीम के कोच बने, उन्हें खोजते हुए पहुंचे. “अरुण सर ने कहा - ‘वो लड़का कहां है जिसे मैंने देखा था?’ और फिर मुझे रणजी टीम में जगह मिली.” वहीं से सिराज की असली उड़ान शुरू हुई. उसी सीज़न में वे रणजी ट्रॉफी के सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने.

आईपीएल से ट्रोलिंग तक

2017 में सिराज ने आईपीएल डेब्यू किया. पहली बार टीवी स्क्रीन पर जब उन्होंने गेंद थामी, तो पिता मोहम्मद गौस की आंखें भर आईं. लेकिन जब अगले कुछ सालों में उनका फॉर्म गिरा, तो वही फैंस जिन्होंने कभी उन्हें टीम इंडिया का शेर’ कहा था, अब कहने लगे - “जा के अपने बाप के साथ ऑटो चला.”

ये शब्द सिराज को तोड़ सकते थे. पर उन्होंने इन्हें ईंधन बना लिया. उन्होंने खुद से वादा किया कि अब हर ओवर, हर बॉल, अपने पिता की मेहनत का जवाब होगा.

धोनी की सीख, जो जिंदगी का मंत्र बन गई

धोनी के वो शब्द - “जब अच्छा करेगा तो यही दुनिया तेरे साथ रहेगी, और जब बुरा करेगा तो यही दुनिया तुझे गालियां देगी” - उनके लिए रास्ता बन गए. उन्होंने कहा, “अब मुझे बाहर के लोगों की तारीफ की ज़रूरत नहीं. मेरे टीममेट्स और परिवार क्या सोचते हैं, वही मायने रखता है.”

आज सिराज जब विकेट लेकर उछलते हैं, तो उनकी आंखों में सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि बीते संघर्ष की झलक होती है. वो हर बार गेंद फेंकते हैं, जैसे अपने पिता के पसीने को सलाम कर रहे हों.

वो बेटा जिसने पिता का सपना पूरा किया

सिराज के पिता 2020 में दुनिया छोड़ गए - ठीक उस वक्त जब सिराज ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया के साथ थे. पिता का सपना था कि “मेरा बेटा इंडिया के लिए खेले.” सिराज ने वो सपना पूरा किया. उस दौरे पर उन्होंने सिडनी और ब्रिसबेन टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को अपनी तेज़ गेंदबाज़ी से झुका दिया. टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत हासिल की, और सिराज का नाम हर भारतीय के दिल में बस गया. वह कहते हैं, “ऊपरवाले ने साथ दिया, मेरी मेहनत थी, और मां-बाप की दुआ थी. आज मैं जो हूं, उन्हीं की वजह से हूं.”

एक सच्ची प्रेरणा

मोहम्मद सिराज की कहानी सिर्फ एक क्रिकेटर की नहीं है, यह एक बेटे की जिद, एक पिता की मेहनत, और एक कप्तान की सीख की कहानी है. वो लड़का जिसने कभी क्रिकेट के जूते भी नहीं खरीदे थे, आज दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों को डराने वाला तेज़ गेंदबाज़ बन गया है. और शायद आज जब कोई उन्हें “टीम इंडिया का स्टार” कहता है, तो उनके मन में सिर्फ एक आवाज़ गूंजती है - “अब्बू, देखो… तुम्हारा बेटा अब ऑटो नहीं, इंडिया के लिए गेंद चला रहा है.”

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