लालिमा लिए चमकेगा आसमान! जानिए कहां-कहां दिखेगा 'ब्लड मून', गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग; किन चीजों का रखे ध्यान, जानें सबकुछ

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण से प्रभावित होने से बचने के लिए घर से बाहर न निकलने, खिड़कियां-दरवाज़े बंद रखने, सुई-चाकू जैसी धारदार चीजों से परहेज़ करने, और खाना पकाने या खाने से बचने की सलाह दी जाती है. कुछ परंपराओं में सुझाव है कि गर्भवती महिलाएँ नग्न आंखों से ग्रहण न देखें, स्नान करें और मंत्र जाप करें (जैसे हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम). कोकोनट (नारियल) में पानी लेकर अपनी गोद में रखकर बाद में बहते पानी में प्रवाहित करने, तुलसी या कुश डालकर भोजन रखने, और गंगा स्नान जैसी कई रहनुमाई दी जाती है.;

( Image Source:  Social Media )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 7 Sept 2025 8:36 PM IST

7 सितंबर की रात भारत समेत एशिया और ऑस्ट्रेलिया में एक दुर्लभ खगोलीय घटना दिखाई देगी. यह साल का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जिसे आमतौर पर 'ब्लड मून' कहा जाता है. इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आकर लाल और नारंगी रंग का दिखाई देगा.

विशेषज्ञों के अनुसार, यह ग्रहण न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से भी खास है. ग्रहण रात 8:58 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर की सुबह 1:26 बजे तक चलेगा. कुल मिलाकर यह घटना 3 घंटे 28 मिनट तक आकाश में अपना अद्भुत नजारा दिखाएगी.

किन शहरों में साफ दिखाई देगा ब्लड मून?

यह खगोलीय दृश्य भारत के नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, जयपुर और लखनऊ में साफ तौर पर देखा जा सकेगा. इसके अलावा यह ग्रहण सिंगापुर, सिडनी, मेलबर्न, दुबई, लंदन, टोक्यो और केप टाउन में भी दिखाई देगा.

ग्रहण का समय और चरण

  • पेनेमब्रल चरण की शुरुआत- शाम 8:58 बजे
  • आंशिक ग्रहण की शुरुआत- रात 9:57 बजे
  • पूर्ण ग्रहण की शुरुआत- रात 11:01 बजे
  • ग्रहण का चरम- रात 11:48 बजे
  • ग्रहण की समाप्ति- सुबह 1:26 बजे

नेहरू प्लानेटेरियम के वरिष्ठ इंजीनियर ओ.पी. गुप्ता के अनुसार कि यह ग्रहण रात 11:48 बजे अपने चरम पर होगा और करीब 48 मिनट तक चलेगा, जिसे भारत में साफ तौर पर देखा जा सकेगा.

धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं

हिंदू धर्म में ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ रोकने और खाने-पीने से परहेज करने की परंपरा है. शंख, घंटी और अन्य धार्मिक उपकरण बजाने से नकारात्मक प्रभाव कम होने और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ने का विश्वास किया जाता है। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रग्रहण पूरी तरह से प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जिसका स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर नहीं होता. इसे नंगी आंखों से देखना सुरक्षित है. विशेषज्ञों के अनुसार, खाने-पीने पर रोक का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.


गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और बच्चों के लिए क्या करें क्या न करें?

परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलने और तेज रोशनी से बचने की सलाह दी जाती है. बच्चों और बुजुर्गों को भी ग्रहण के समय आराम करने और पूजा-पाठ या ध्यान में समय बिताने की परंपरा रही है. हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं है.

इस बार का चंद्रग्रहण शतभिषा नक्षत्र में लग रहा है, जिससे कई राशि चक्रों पर असर माना जा रहा है. ज्योतिषियों का मानना है कि इसका कुछ राशियों पर सकारात्मक प्रभाव होगा, जबकि कुछ को सावधानी बरतनी पड़ेगी.

ब्लड मून क्यों होता है?

चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर अपनी छाया चंद्रमा पर डाल देती है. इस दौरान पृथ्वी के वातावरण से गुजरती सूर्य की किरणें चंद्रमा पर लालिमा उत्पन्न करती हैं, जिससे चांद लाल और नारंगी रंग में चमकता है. यही कारण है कि इसे ब्लड मून कहा जाता है.

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण से प्रभावित होने से बचने के लिए घर से बाहर न निकलने, खिड़कियाँ-दरवाज़े बंद रखने, सुई-चाकू जैसी धारदार चीजों से परहेज़ करने, और खाना पकाने या खाने से बचने की सलाह दी जाती है. कुछ परंपराओं में सुझाव है कि गर्भवती महिलाएँ नग्न आंखों से ग्रहण न देखें, स्नान करें और मंत्र जाप करें (जैसे हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम). कोकोनट (नारियल) में पानी लेकर अपनी गोद में रखकर बाद में बहते पानी में प्रवाहित करने, तुलसी या कुश डालकर भोजन रखने, और गंगा स्नान जैसी कई रहनुमाई दी जाती है.

चिकित्सा सम्बंधित सलाह के अनुसार, इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. गर्भवती महिलाओं को बिना भोजन या पानी के रहने से डिहाइड्रेशन या कमजोरी हो सकती है, जो हानिकारक है. डॉक्टरों का कहना है कि आपातकालीन स्थितियों में अस्पताल जाना अंधविश्वास से ऊपर है, चाहे ग्रहण का दिन ही क्यों न हो.

Similar News