इंडियन समझकर चाव से खाते हैं समोसा और राजमा? इन फूड्स के बारे में ये सच जानकर हो जाएंगे शॉक

हम भारतीय खाने के बेहद शौकीन होते हैं. भारतीय खाने का स्वाद लाजवाब होता है. हर राज्य की अपनी अलग-अलग फेमस डिश हैं, जो टेस्ट के साथ-साथ हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होती हैं.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 18 Dec 2024 1:21 PM IST

यह कहना गलत नहीं होगा समोसे, बिरयानी, राजमा-चावल और गुलाब जामुन के बगैर हम भारतीयों की जिंदगी अधूरी है. ऐसा हो सकता है क्या कि शाम को चाय के साथ समोसे न परोसे जाए? वहीं दिन में बिरयानी का स्वाद न लिया जाए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन डिश को हम इतने चाव से खाते हैं. यह भारत में नहीं बनाई गई थीं?

मिठाईयों के प्रति भारतीयों का प्यार कभी कम नहीं हो सकता है. खासतौर पर गुलाब जामुन एक ऐसी मिठाई है, जिसे खाए बिना कोई नहीं रह सकता है.इस लिस्ट में सबसे पहले गुलाब जामुन शामिल है. इस मिठाई का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह डेजर्ट भारतीय नहीं है. गुलाब जामुन का इजात भारत नहीं बल्कि फारसी में हुआ था.

समोसा

दुनिया भर में समोसा सबसे ज्यादा भारत में फेमस है. समोसा एक फूड नहीं बल्कि इंडियन्स के लिए एक इमोशन है. जिस तरह से हम भारतीय हर बात पर चाय पीते हैं. उसी तरह, हर छोटे- बड़े काम बिना समोसे के अधूरे होते हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि समोसा भी हमारा नहीं है. इसे पहले सम्बोसा कहा जाता था, जो 10वीं शताब्दी का फूड है. इसे मीड एशिया के व्यापारी भारत लाए थे.

राजमा

भारत में बड़े चाव से राजमा खाए जाते हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि राजमा के बगैर पंजाबी लोगों का खाना अधूरा है. शायद आपको भी यह लगता होगा कि भारत में राजमा चावल पंजाबी लोगों की देन है, लेकिन ऐसा नहीं है. राजमा को पुर्तगाल से भारत लाया गया था. इसके बाद मैक्सिन लोगों ने राजमा को भिगोना और उबालना शुरू किया. वहीं, भारत आने के बाद इसे ग्रेवी के तौर पर सर्व किया जाने लगा.

जलेबी

सर्दियों में जलेबी और दूध के साथ-साथ जलेबी और रबड़ी का स्वाद ही अलग होता है. जलेबी मुंह में जाते ही घुल जाती है. मीठे के तौर पर आज भी घरों में जलेबी परोसी जाती है, लेकिन जलेबी की रेसिपी मिडिल ईस्ट की देन है. इसे पहले 'जलाबिया' (अरबी) या 'जालिबिया' (फारसी) कहा जाता था. जहां भारत में इसे जलेबी कहा जाने लगा.

बिरयानी

भारत में बिरयानी के दीवानों की कमी नहीं है. यह ख्याल दिमाग में आज तक नहीं आया कि हमारी बिरयानी विदेशी हो सकती है, लेकिन यह बात सच है. भले ही हैदराबादी और मुरादाबादी बिरयानी फेमस हो, लेकिन यह डिश पहली बार फारस में बनी थी.

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