'अपनी लिमिट क्रॉस कर रहा ED', सुप्रीम कोर्ट ने जमकर लगाई फटकार, नोटिस भी किया जारी - 10 बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी TASMAC पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी पर रोक लगाई है और ED को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि एजेंसी "हर सीमा पार कर रही है." तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया कि ED ने बिना पर्याप्त कारण के छापे मारे और डेटा जब्त किया.;
तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी TASMAC पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने ED को फटकार लगाते हुए कहा कि वह "हर सीमा को पार कर रहा है." मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच पर फिलहाल रोक लगाते हुए एजेंसी को नोटिस जारी किया. अदालत ने कहा, "आप व्यक्तियों पर केस दर्ज कर सकते हैं, लेकिन कॉर्पोरेशन पर?"
यह टिप्पणी केंद्र और राज्य एजेंसियों की शक्तियों की टकराहट को भी उजागर करती है. तमिलनाडु सरकार की याचिका में आरोप लगाया गया था कि ED ने बिना आधार के 14 मार्च और 16 मई को TASMAC के कार्यालयों पर छापे मारे और कई मोबाइल फोन जब्त कर डेटा क्लोन किया. ED का दावा है कि उसे 1,000 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी, और फर्जी टेंडरों से जुड़े दस्तावेज मिले हैं.
TASMAC-ED विवाद से जुड़ी 10 बड़ी बातें
- सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच पर फिलहाल स्थगन (stay) आदेश जारी कर दिया है. इसका मतलब है कि अब ED, TASMAC के खिलाफ आगे कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगी जब तक अगली सुनवाई नहीं होती.
- मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ED की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, "आप सीमाएं पार कर रहे हैं." कोर्ट ने सवाल उठाया कि ED किस आधार पर कॉर्पोरेट संस्थानों के खिलाफ इस तरह कार्रवाई कर रहा है.
- तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ED की छापेमारी राज्य की स्वायत्तता में हस्तक्षेप है और यह संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन है. सरकार का कहना है कि TASMAC पूरी तरह राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है.
- एजेंसी ने 14 मार्च और 16 मई को TASMAC के 10 से ज्यादा परिसरों में छापे मारे थे. दोनों बार छापों को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत अंजाम दिया गया.
- ED ने दावा किया कि उसे छापेमारी में 1,000 करोड़ रुपये के 'unaccounted' कैश ट्रांजैक्शन्स के सबूत मिले हैं, जो शराब बिक्री और सप्लाई में गड़बड़ियों से जुड़े हैं.
- याचिका में कहा गया कि ED ने कई अधिकारियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए और उनका डेटा क्लोन कर लिया. यह निजता के अधिकार और प्रक्रिया के उल्लंघन का मामला है.
- ED के अनुसार, TASMAC में बार लाइसेंस, ट्रांसपोर्ट टेंडर और डिस्टिलरी सप्लाई से जुड़े 'मनमाने ऑर्डर' दिए गए, जिनसे कुछ निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया.
- ED ने कहा कि शराब की हर बोतल पर 10 रुपे से 30 रुपये तक का अतिरिक्त चार्ज अवैध रूप से लगाया गया, जिसमें TASMAC के अधिकारियों की मिलीभगत थी.
- पहली छापेमारी के बाद भी ED ने दोबारा मई में कार्रवाई की, जिससे राज्य सरकार ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया और इसे चुनौती दी.
- सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सभी जांच गतिविधियों पर रोक लगाते हुए आदेश दिया है कि ED का जवाब गर्मी की छुट्टियों के बाद मांगा जाएगा, और तब तक कोई नई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी.