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भारत ने 'सिंधु जल संधि' के तहत बने अवैध मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को खारिज किया, MEA ने कहा- यह प्रक्रिया ही अवैध और शून्य है

विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है, "आज 1960 की सिंधु जल संधि के तहत तथाकथित गठित एक अवैध 'मध्यस्थता न्यायाधिकरण' ने जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में किशनगंगा और रटले जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित अपनी कथित 'क्षमता' पर एक 'परिशिष्ट पुरस्कार' (supplemental award) जारी किया है. यह न्यायाधिकरण न केवल संधि के स्पष्ट उल्लंघन में गठित हुआ है, बल्कि भारत ने कभी भी इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायाधिकरण की वैधता को स्वीकार नहीं किया है. भारत का स्पष्ट और लगातार रुख रहा है कि इस प्रकार की मध्यस्थता प्रक्रिया की स्थापना स्वयं में सिंधु जल संधि का गंभीर उल्लंघन है. इसलिए इस मंच पर होने वाली कोई भी कार्रवाई, निर्णय या पुरस्कार न केवल अवैध हैं, बल्कि अपने आप में शून्य और अमान्य हैं. भारत इस तथाकथित 'परिशिष्ट पुरस्कार' को पूरी तरह खारिज करता है, ठीक वैसे ही जैसे इस कथित न्यायाधिकरण के पहले के सभी निर्णयों को खारिज किया गया था."

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Update: 2025-06-27 14:35 GMT

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